पूजा के विविध उपचार
संक्षेप और विस्तार के भेद से पूजा के अनेकों प्रकार के उपचार हैं-
पञ्चोपचार-१॰ गन्ध, २॰ पुष्प, ३॰ धूप, ४॰ दीप और ५॰ नैवेद्य।
दस उपचार- १॰ पाद्य, २॰ अर्घ्य, ३॰ आचमन, ४॰ स्नान, ५॰ वस्त्र-निवेदन, ६॰ गन्ध, ७॰ पुष्प, ८॰ धूप, ९॰ दीप और १०॰ नैवेद्य।
सोलह उपचार- १॰ पाद्य, २॰ अर्घ्य, ३॰ आचमन, ४॰ स्नान, ५॰ वस्त्र-निवेदन, ६॰ आभूषण, ७॰ गन्ध, ८॰ पुष्प, ९॰ धूप, १०॰ दीप, ११॰ नैवेद्य, १२॰ आचमन, १३॰ ताम्बूल, १४॰ स्तव-पाठ, १५॰ तर्पण तथा १६॰ नमस्कार।
अठारह उपचार- १॰ आसन, २॰ स्वागत, ३॰ पाद्य, ४॰ अर्घ्य, ५॰ आचमन, ६॰ स्नान, ७॰ वस्त्र-निवेदन, ८॰ यज्ञोपवीत, ९॰ भूषण, १०॰ गन्ध, ११॰ पुष्प, १२॰ धूप, १३॰ दीप, १४॰ नैवेद्य, १५॰ दर्पण, १६॰ माला, १७॰ अनुलेपन तथा १८॰ नमस्कार।
छत्तीस उपचार- १॰ आसन, २॰ अभ्यञ्जन, ३॰ उद्वर्तन, ४॰ निरुक्षण, ५॰ सम्मार्जन, ६॰ सर्पिःस्नपन, ७॰ आवाहन, ८॰ पाद्य, ९॰ अर्घ्य, १०॰ आचमन, ११॰ स्नान, १२॰ मधुपर्क, १३॰ पुनराचमन, १४॰ यज्ञोपवीत-वस्त्र, १५॰ अलंकार, १६॰ गन्ध, १७॰ पुष्प, १८॰ धूप, १९॰ दीप, २०॰ नैवेद्य, २१॰ ताम्बूल, २२॰ पुष्पमाला, २३॰ अनुलेपन, २४॰ शय्या, २५॰ चामर, २६॰ व्यंजन, २७॰ आदर्श, २८॰ नमस्कार, २९॰ गायन, ३०॰ वादन, ३१॰ नर्तन, ३२॰ स्तुतिगान, ३३॰ हवन, ३४॰ प्रदक्षिणा, ३५॰ दन्तकाष्ठ तथा विसर्जन।
चौंसठ उपचार (शिवशक्ति पूजा में)- १॰ पाद्य, २॰ अर्घ्य, ३॰ आसन, ४॰ तैलाभ्यंग, ५॰ मज्जनशालाप्रवेश, ६॰ पीठोपवेशन, ७॰ दिव्यस्नानीय, ८॰ उद्वर्तन, ९॰ उष्णोदक-स्नान, १०॰ तीर्थाभिषेक, ११॰ धौतवस्त्रपरिमार्जन, १२॰ अरुण-दुकूलधारण, १३॰ अरुणोत्तरीयधारण, १४॰ आलेपमण्डपप्रवेश, १५॰ पीठोपवेशन, १६॰ चन्दनादि दिव्यगन्धानुलेपन, १७॰ नानाविधपुष्पार्पण, १८॰ भूषणमण्डपप्रवेश, १९॰ भूषणमणिपीठोपवेशन, २०॰ नवरत्नमुकुटधारण, २१॰ चन्द्रशकल, २२॰ सीमन्तसिन्दूर, २३॰ तिलकरत्न, २४॰ कालाञ्जन, २५॰ कर्णपाली, २६॰ नासाभरण, २७॰ अधरयावक, २८॰ ग्रथनभूषण, २९॰ कनकचित्रपदक, ३०॰ महापदक, ३१॰ मुक्तावली, ३२॰ एकावली, ३३॰ देवच्छन्दक, ३४॰ केयूरचतुष्टय, ३५॰ वलयावली, ३६॰ ऊर्मिकावली, ३७॰ काञ्चीदाम-कटिसूत्र, ३८॰ शोभाखयाभरण, ३९॰ पादकटक, ४०॰ रत्ननूपुर, ४१॰ पादांगुलीयक, चार हाथों में क्रमशः, ४२॰ अंकुश, ४३॰ पाश, ४४॰ पुण्ड्रेक्षुचाप, ४५॰ पुष्पबाण धारण, ४६॰ माणिक्यपादुका, ४७॰ सिंहासन-रोहण, ४८॰ पर्यङ्कोपवेशन, ४९॰ अमृतासवसेवन, ५०॰ आचमनीय, ५१॰ कर्पूरवटिका, ५२॰ आनन्दोल्लास-विलासहास, ५३॰ मंगलार्तिक, ५४॰ श्वेतच्छत्र, ५५॰ चामर-द्वय, ५६॰ दर्पण, ५७॰ तालवृन्त, ५८॰ गन्ध, ५९॰ पुष्प, ६०॰ धूप, ६१॰ दीप, ६२॰ नैवेद्य, ६३॰ आचमन तथा ६४॰ पुनराचमन, (ताम्बूल और वन्दना)।
राजोपचार- षोडशोपचार के अतिरिक्त छत्र, चामर, पादुका और दर्पण।

Please follow and like us:
Pin Share

Discover more from Vadicjagat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.