October 21, 2015 | aspundir | Leave a comment ब्रह्मादि देवों द्वारा भगवान् की स्तुति जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता । गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता ।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई । जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई ।। जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा । अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा ।। जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगत मोह मुनिबृंदा । निसि बासर ध्यावहिं गुनगन गावहिं जयति सच्चिदानंदा ।। जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा । सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा ।। जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरुथा । मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा ।। सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहिं जाना । जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना ।। भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा । मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पसकंजा ।। जानि सभय सुरभुमि सुनि बचन समेत सनेह । गगन गिरा गंभीर भइ हरनि सोक संदेह ।। रक्ताम्भोजदलाभिरामनयनं पीताम्बरालं कृतम् , श्यामांग द्विभुजं प्रसन्नवदनं श्रीसीतया शोभितम् । कारुण्यामृतसागरं प्रियगणैर्भ्रात्रादिभिर्भावितं, वन्दे विष्णुशिवादिसेव्यमनिशं भक्तेष्टसिद्धिप्रदम् ।। Related