December 14, 2018 | aspundir | Leave a comment भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९६ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (ब्राह्मपर्व) अध्याय – ९६ जया-सप्तमी-व्रतका वर्णन दिण्डी ने कहा — ब्रह्मन् ! आपने मुझसे जो सात सप्तमियों का वर्णन किया है, उसमें जो पहली सप्तमी है, उसके विषयमें तो आपने विस्तारपूर्वक वर्णन किया, किंतु शेष छः सप्तमियों के विषयमें कुछ नहीं कहा । अतः अन्य सभी सप्तमियों का भी आप वर्णन करें, जिनमें उपवास करके मैं सूर्यलोक को प्राप्त कर सकूँ । ब्रह्माजी बोले — दिण्डिन् । शुक्ल पक्षकी जिस सप्तमी को हस्त नक्षत्र हो, उसे ‘जया’ सप्तम’ी कहते हैं । उस दिन किया गया दान, हवन, जप, तर्पण तथा देव-पूजन एवं सूर्यदेव का पूजन सौगुना लाभप्रद होता है । यह सप्तमी भगवान् भास्कर को अत्यन्त प्रिय है। यह पापनाशिनी, श्रेष्ठ यश देने वाली, पुत्र प्राप्त करानेवाली, अभीष्ट इच्छाओं को पूर्ण करनेवाली और लक्ष्मी को प्राप्त करानेवाली है । प्राचीनकाल में इसी तिथि को भगवान् सूर्य ने हस्त नक्षत्र पर संक्रमण किया था, इसलिये इसे शुक्ला सप्तमी भी कहते हैं । अपने दोनों हाथों में कमल धारण किये हुए भगवान् सूर्य की स्वर्णमयी प्रतिमा बनाकर विधिपूर्वक वर्षभर उनका पूजन करना चाहिये । इस व्रत में तीन पारणाएँ करनी चाहिये । प्रथम पारणा चार मास पर करे । उसमें करवीर के पुष्प तथा रक्तचन्दन, गुग्गुल-धूप तथा गेहूँके आटे के लड्डू के नैवेद्य आदिसे पूजा करनी चाहिये । इस विधिसे देवाधिपति मार्तण्ड भगवान् सूर्यकी विधिपूर्वक पूजा करके ब्राह्मणों की पूजा करे । सप्तमी तिथि में उपवास रखकर अष्टमीको पारणा करनी चाहिये । इस पारणा में पीली सरसों मिश्रित जलसे स्नान करे, गोमयका प्राशन करे तथा मदार से दन्तधावन करे। ‘भानुर्मे प्रीयताम्’— ‘भगवान् सूर्य मुझपर प्रसन्न हो’-ऐसा उच्चारण करते हुए ये क्रियाएँ सम्पन्न करे । यह पहली पारणा-विधि है । दूसरी पारणा में मालती के पुष्प, श्रीखण्ड-चन्दन, पायसका नैवेद्य तथा विजय-धूप देनी चाहिये । ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भी वैसा ही भोजन करना चाहिये । ‘रविर्मे प्रीयताम्’— ‘सूर्यदेव ! मुझपर प्रसन्न हों’—ऐसा कहते हुए पञ्चगव्य प्राशनकर खदिरकी लकड़ीसे दन्तधावन करना चाहिये । तीसरी पारणा में अगस्ति-पुष्प से भगवान् भास्करका पूजन करना चाहिये । इस व्रत में भगवान् सूर्यको श्रीखण्ड, कुसुम, सिह्लक-धूप देने चाहिये, क्योंकि ये भगवान् को अत्यन्त प्रिय हैं । ‘विकर्तनो मे प्रीयताम्’—’भगवान् विकर्तन-सूर्य मुझपर प्रसन्न हों‘–ऐसी प्रार्थना करते हुए कुशोदक का प्राशन करना चाहिये तथा बेरकी दातून करनी चाहिये । वर्षके अन्त में भगवान् सूर्य की गन्ध-पुष्प तथा नैवेद्यादि उपचारों से विधिवत् पूजा करनी चाहिये, अनन्तर उन्हीं के समक्ष अवस्थित होकर परम पवित्र पुराणका वाचन करवाना चाहिये । विभो ! इस विधिसे जो पुरुष इस सप्तमी-तिथिका व्रत करता है, उसके स्नानादिक समस्त व्रतके कार्य सौगुना फल देनेवाले हो जाते हैं । इस सप्तमीके व्रतको करनेवाला व्यक्ति यश, धन, धान्य, सुवर्ण, पुत्र, आयु, बल तथा लक्ष्मीको प्राप्त प्राप्त कर सूर्यलोक को जाता है । (अध्याय ९६) See Also :- 1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२ 2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3 3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४ 4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५ 5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६ 6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७ 7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९ 8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५ 9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६ 10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७ 11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८ 12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९ 13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २० 14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१ 15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२ 16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३ 17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६ 18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७ 19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८ 20. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २९ से ३० 21. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३१ 22. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३२ 23. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३३ 24. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३४ 25. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३५ 26. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३६ से ३८ 27. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३९ 28. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४० से ४५ 29. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४६ 30. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४७ 31. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४८ 32. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४९ 33. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५० से ५१ 34. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५२ से ५३ 35. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५४ 36. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५५ 37. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५६-५७ 38. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५८ 39. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५९ से ६० 40. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६१ से ६३ 41. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६४ 42. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६५ 43. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६६ से ६७ 44. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६८ 45. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६९ 46. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७० 47. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७१ 48. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७२ से ७३ 49. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७४ 50. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७५ से ७८ 51. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७९ 52. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८० से ८१ 53. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८२ 54. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८३ से ८५ 55. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८६ से ८७ 56. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८८ से ९० 57. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९१ से ९२ 58. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९३ 59. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९४ से ९५ Related