January 25, 2016 | Leave a comment रक्षा-पाल का मन्त्र मन्त्रः- “जाग-जाग वापुए देया पुत्रा । काली-माई देया चेलया । महा – रुद्रिया देया जाया । लीलो बहना दया भाईया । ज्यूणिया-घुम्हारिया देया सज्जणा । हीराँ गदड़े – टियाँ देया खसमा । घगरिया – नानिया देया दोतुआ । जाति – दा लुलाला भेडाँ – दा भाला जुआलिया सुहाला । धारा नगारा दूँगी भखारा, उत्थड़िया बखारा छण्डे दिआ धारा । तित करङ्गोड़े – दा बूटा, तिस एठ वासा तुम्हारा । जित्थु आई, मिलया मामटी हमारा । जूटा पट्टे दारा, ढाका निरबान हत्थाँ । उनसान लाड़ी लाम्मी पिठी किरड़ा । मैं रखबाला, गदड़ेटा भवानी – दा । सदे-आ औणा, भेजे-आ जाणा । मेरी भक्ति, गुरू की शक्ति । चले मन्त्र, ईश्वर महा-देव का वाचा फुरे ।।” विधि – १ जल, २ गन्ध, ३ अक्षत, ४ फूल, ५ धूप, ६ ज्योति, ७ नैवेद्य के रूप में हलुवा तथा ८ हाथ के काते हुए सूत का जनेऊ । यह सभी सामान लेकर पीपल के वृक्ष के नीचे रात्रि एक प्रहर के बाद और प्रात: तीन से चार बजे के बीच पूजनोपरान्त एक ‘माला’ ‘जप’ करे । ‘जप’ के बाद ज्योति साथ लेते आए और फिर घर में एक माला ‘जप’ करे । रविवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे ‘जप’ न करे, घर ही में दो माला प्रात: और सायं ‘जप’ करे । ४१ दिन के भीतर रक्षा – पाल मनोमिलाषित वरदान देते हैं । ‘प्रयोग’ को जहां तक सम्भव हो, गुप्त रक्खे । प्रति-दिन नियत समय ही ‘जप’ करे । Related