January 19, 2016 | aspundir | Leave a comment वृष्टि कारक व रोगनाशक मन्त्र मन्त्र:- “सोइ जल अनल संघाता । होइ जलद जग जीवनदाता ।।” मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभः- इस मन्त्र को प्रतिदिन एक सौ आठ बार जपते हुए 90 दिन पूर्ण करें । जब वर्षा करवानी हो तब जल के मध्य खड़े होकर 10000 जप करें और आकाश की तरफ जल के छींटे दें । रोगनाश के लिए काँसे की कटोरी में जल भरकर इस मन्त्र से 108 बार शक्तिकृत करके रोगी को पिला दें । Related