June 1, 2025 | aspundir | Leave a comment श्रीमद्देवीभागवत-महापुराण-द्वादशः स्कन्धः-अध्याय-02 ॥ श्रीजगदम्बिकायै नमः ॥ ॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥ उत्तरार्ध-द्वादशः स्कन्धः-द्वितीयोऽध्यायः दूसरा अध्याय गायत्री के चौबीस वर्णों की शक्तियों, रंगों एवं मुद्राओं का वर्णन गायत्रिशक्त्यादिप्रतिपादनम् श्रीनारायण बोले — हे महामुने ! उन वर्णों की कौन-कौन-सी शक्तियाँ हैं, अब आप उन्हें सुनिये। वामदेवी, प्रिया, सत्या, विश्वा, भद्रविलासिनी, प्रभावती, जया, शान्ता, कान्ता, दुर्गा, सरस्वती, विद्रुमा, विशालेशा, व्यापिनी, विमला, तमोपहारिणी, सूक्ष्मा, विश्वयोनि, जया, वशा, पद्मालया, पराशोभा, भद्रा तथा त्रिपदा — चौबीस गायत्री वर्णों की ये शक्तियाँ कही गयी हैं ॥ १-३१/२ ॥ [हे मुने!] अब मैं उन अक्षरों के वास्तविक वर्णों (रंगों ) – के विषय में बता रहा हूँ । गायत्री के चौबीस वर्णों के रंग क्रमशः चम्पा, अलसी-पुष्प, मूँगा, स्फटिक, कमल-पुष्प, तरुण सूर्य, शंख – कुन्द- चन्द्रमा, रक्त कमलपत्र, पद्मराग, इन्द्रनीलमणि, मोती, कुमकुम, अंजन, रक्तचन्दन, वैदूर्य, मधु, हरिद्रा, कुन्द एवं दुग्ध, सूर्यकान्तमणि, तोते की पूँछ, कमल, केतकी-पुष्प, मल्लिका-पुष्प और कनेर के पुष्प की आभा के समान कहे गये हैं । चौबीस अक्षरों के बताये गये ये चौबीस वर्ण महान् पापों को नष्ट करने वाले हैं ॥ ४–९१/२ ॥ पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, गन्ध, रस, रूप, शब्द, स्पर्श, जननेन्द्रिय, गुदा, पाद, हस्त, वागिन्द्रिय, नासिका, जिह्वा, नेत्र, त्वचा, कान, प्राण, अपान, व्यान तथा समान — ये वर्णों के क्रमश: चौबीस तत्त्व कहे गये हैं ॥ १०–१२१/२ ॥ [हे नारद!] अब मैं क्रमश: वर्णों की मुद्राओं का वर्णन करूँगा। सुमुख, सम्पुट, वितत, विस्तृत, द्विमुख, त्रिमुख, चतुर्मुख, पंचमुख, षण्मुख, अधोमुख, व्यापकांजलि, शकट, यमपाश, ग्रथित, सन्मुखोन्मुख, विलम्ब, मुष्टिक, मत्स्य, कूर्म, वराह, सिंहाक्रान्त, महाक्रान्त, मुद्गर तथा पल्लव — गायत्री के अक्षरों की ये चौबीस मुद्राएँ हैं। त्रिशूल, योनि, सुरभि, अक्षमाला, लिंग और अम्बुज —ये महामुद्राएँ गायत्री के चौथे चरण की कही गयी हैं । हे महामुने ! गायत्री के वर्णों की इन मुद्राओं को मैंने आपको बता दिया । हे मुने! ये मुद्राएँ महान् पापों का नाश करने वाली, कीर्ति देने वाली तथा कान्ति प्रदान करने वाली हैं ॥ १३-१८ ॥ ॥ इस प्रकार अठारह हजार श्लोकों वाली श्रीमद्देवीभागवत महापुराण संहिता के अन्तर्गत बारहवें स्कन्ध का ‘गायत्रीशक्त्यादिप्रतिपादन’ नामक दूसरा अध्याय पूर्ण हुआ ॥ २ ॥ See Also:– मुद्रा लक्षण – मुद्रा प्रकरण Content is available only for registered users. Please login or register Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe