श्री गोरक्ष वल्लभास्तोत्र
इस गोरक्ष वल्लभा स्तोत्र का वैसे तो कोई भी विधिवत् पाठ कर फल प्राप्त कर सकता है, किन्तु विद्यार्थियों के लिए यह परम कल्याणकारक है ।
शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से प्रतिदिन प्रातः-काल ब्रह्म-मुहूर्त्त में उठ जाना चाहिए तथा सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर धूले हुए शुद्ध वस्त्रों को धारण करके भगवान् गोरखनाथ के मन्दिर, धूणा आश्रम (आसन) अथवा घर के किसी एकान्त स्थल पर उनकी प्रतिमा या चित्र का धूप-दीपादि से पूजन करना चाहिए, फिर पूर्व दिशा की ओर मुँह करके आसन पर बैठकर प्रेम-भक्ति से मधुर स्वर में ग्यारह बार पाठ करे । इस प्रकार नौ मंगलवार तक करे । हर मंगलवार को उपवास रखें, निराहार रहकर केवल जल ग्रहण करें । अगर ऐसा सम्भव न हो तो एक समय भोजन करना चाहिए । नौ मंगलवार पूर्ण होने पर प्रतिदिन प्रातः-काल ‘श्रीगोरक्ष-वल्लभास्तोत्र’ का कम-से-कम एक पाठ अवश्य करना चाहिए । इससे यश, बुद्धि, तेज, विद्या, बल और आयु की वृद्धि होती है ।
।।अथ गोरक्ष-वल्लभास्तोत्र।।
ॐ गोरक्षः शिवावतार, तीहूं लोक के हो योगेश्वर ।
नमन करुँ हे महासिद्ध ! हे प्रभु ! अपराध क्षमा कर ।।१
मूर्ख महा मैं हूं पातकी, हूं अज्ञानी मैं दुखियारो ।
कृपा करो करुणा-सागर, हर लो मल श्राम हमारो ।।२
हे दयालु ! दीन-बन्धुदाता ! नमन करुं तुझे हरदम ।
दोषी मलीन मैं हूं पातकी, गुण मेरे में हैं अति कम ।।३
आप अविनाशी हैं महा-योगी, घट-घट वासी निराकार ।
आप अवतारी, सिद्ध-देहधारी, नमन करुं मैं बारम्बार ।।४
हे सत्य सनातन ! प्रभु पावन दाता ! हठयोग विधाता ऋषिश्वरः !
हे सिद्ध तपस्वी योगमती ! मेरा अवगुण दोष दूर कर ।। ५
कृपा करो तारलो नाथ शिरोमणि, मैं अभ्यागत शरण तुम्हारी ।।

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