August 10, 2015 | aspundir | Leave a comment सर्वापत्ति-निवारक हनुमान-स्तुति ॐ सीता-राम जानत हों, सीता-राम मानत हों। सीता-राम पूजत, जपत सीता-राम हों। सीता-राम सों बसै प्राण, ध्यान धरत सीता-राम अभिराम हों। सीता-राम तेरे मन की कल्प-तरु, सीता-राम सों सनेह, सीता-राम को गुलाम हों। शिखा वज्र, नयन वज्र, तेरो मुख-दन्त वज्र, छाती-भुज पिंग-वज्र। लाल-लाल दन्त हैं, काया लाल, ग्रीवा लाल, वसन लंगुर लाल, असन-अधर लाल, लालैं हनुमन्त हैं। मुकुट लाल, गोफा लाल, चूड़ा-बिजायट लाल, सेल्ही मञ्जीर लाल, लाल कण्ठ-माल हैं। कुण्डल-सिर-पेच लाल, कलगी सिर मुकुट लाल, तोड़ा कमर-बन्दै विशाल हैं। कण्ठ लाल, तिलक लाल, जंघिया-जनेऊ लाल, टोपी सिर-पाग लाल, लालै दुसाल हैं। जामा कर-पहुँची लाल, जिरहें जञ्जीर लाल, बखर उपन्ना लाल, मुदरिया माल हैं। शिखा पीर, नयन पीर, तारो मुख-दन्त पीर, छाती भुज शीश पीर, वज्र पीर भई है। देव पीर, देवी पीर, दानव-दैत्य पीर, भूत पीर, जिन्द पीर, राज-रोग गई है। जादू ज्वर-व्याधि पीर, व्याल-विष महा-वीर वेगि हरौ सकल पीर। हनुमान की दोहाई। Related