श्रीलिङ्गमहापुराण -[पूर्वभाग] -004 श्रीलिङ्गमहापुराण -[पूर्वभाग] -004 ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ चौथा अध्याय ब्रह्माजी की आयु का परिमाण, काल का स्वरूप, कल्प, मन्वन्तर एवं युगादि का मान तथा ब्रह्माजी द्वारा विभिन्न लोकों की संरचना श्रीलिङ्गमहापुराणे पूर्वभागे चतुर्थोऽध्यायः सृष्टिप्रारम्भवर्णनं सूतजी बोले — ब्रह्मा की प्राकृत सृष्टि का जो समय है, वही उनका दिन है तथा उतने ही परिमाण की उनकी… Read More
श्रीलिङ्गमहापुराण -[पूर्वभाग] -003 श्रीलिङ्गमहापुराण -[पूर्वभाग] -003 ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ तीसरा अध्याय अलिङ्ग एवं लिङ्गतत्त्व का स्वरूप, शिवतत्त्व की व्यापकता, महदादि तत्त्वों का विवेचन, जगत् की उत्पत्ति का क्रम तथा महेश्वर शिव की महिमा श्रीलिङ्गमहापुराणे पूर्वभागे तृतीयोऽध्यायः प्राकृतप्राथमिकसर्गकथनं सूतजी बोले — वह निर्गुण ब्रह्म शिव (अलिङ्ग) ही लिङ्ग (प्रकृति) – का मूल कारण है तथा स्वयं लिङ्गरूप (प्रकृतिरूप)… Read More
श्रीलिङ्गमहापुराण -[पूर्वभाग] -002 श्रीलिङ्गमहापुराण -[पूर्वभाग] -002 ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ दूसरा अध्याय लिङ्गपुराण का परिचय तथा इसमें प्रतिपादित विषयों का वर्णन श्रीलिङ्गमहापुराणे पूर्वभागे द्वितीयोऽध्यायः अनुक्रमणिका वर्णनं सूतजी बोले — ईशानकल्प में लिङ्ग के प्रादुर्भाव आदि से सम्बद्ध वृत्तान्तों को आश्रित करके महात्मा ब्रह्मा ने सर्वप्रथम श्रेष्ठ लिङ्गपुराण की उद्भावना की ॥ १ ॥ सौ करोड़ विस्तारवाले पुराणसमुच्चय में… Read More
श्रीलिङ्गमहापुराण -[पूर्वभाग] -001 श्रीलिङ्गमहापुराण -[पूर्वभाग] -001 ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ पहला अध्याय देवर्षि नारदजी का नैमिषारण्य-आगमन, श्रीसूत-शौनक-संवाद में लिङ्गमहापुराण का उपक्रम श्रीलिङ्गमहापुराणे पूर्वभागे प्रथमोऽध्यायः लिङ्गोद्भवप्रतिज्ञावर्णनं ॥ श्रीगणेशजी को नमस्कार है ॥ ॥ भगवान् शिव को नमस्कार है ॥ नमो रुद्राय हरये ब्रह्मणे परमात्मने । प्रधानपुरुषेशाय सर्गस्थित्यन्तकारिणे ॥ १ ॥ जगत् की उत्पत्ति, स्थिति एवं अन्त के कारणीभूत [कारक]… Read More