श्रीगणपति-ध्यान- मंजरी गणपति सिन्दूराभं त्रिनेत्रं पृथुतरजठरं हस्तपद्यैर्दधानं दन्तं पाशाङ्कुशेष्टान्युरुकरविलसद्बीजपूराभिरामम्। बालेन्दुद्योतमौलिं करिपतिवदनं दानपूरार्द्रगण्डं भोगीन्द्राबद्धभूषं भजत गणपतिं रक्तवस्त्राङ्गरागम् ॥ जो सिन्दूरकी-सी अंगकान्ति वाले और त्रिनेत्रधारी हैं; जिनका उदर बहुत विशाल है; जो अपने चार करकमलों में दन्त, पाश, अंकुश और वर-मुद्रा धारण करते हैं; जिनके विशाल शुण्ड-दण्ड में बीजपूर (बिजौरा नीबू या अनार) शोभा दे रहा है;… Read More


श्रीबगला ध्यानावली पीत-पीत वसन प्रसार करैं देह-छवि, अंग-अंग भूषन, सु-पीत झरि लावै है । मुख-कान्ति पीत-पीत, तीनों नेत्र पीत-पीत, अंग-राग पीत-पीत शोभा सरसावै है ।। निज भीत भक्तन को, हीत देति दौरि आय, अपनी दया को, रुप प्रकट दिखावै है । बगला ! तिहार नाम जपत, स-भक्ति जौन, भुक्ति पावै मुक्ति पावै, पीता बन जावै… Read More