श्रीदुर्गा-कवचेश्वरम् श्री दुर्गा कवचम् (रुद्रयामलोक्त) पाठान्तर के साथ ।। श्रीदुर्गा-कवचेश्वरम् ।। ।। पूर्व-पीठिका – श्रीभैरव उवाच ।। अधुना देवि ! वक्ष्येऽहं कवचं मन्त्र-गर्भकम् । दुर्गायाः सार-सर्वस्वं कवचेश्वरसञ्ज्ञकम् ।।१ परमार्थ-प्रदं नित्यं महा-पातक-नाशनम् । योगि-प्रियं योगी-गम्यं देवानामपि दुर्लभम् ।।२ विना दानेन मन्त्रस्य सिद्धिर्देवि ! कलौ भवेत् । धारणादस्य देवेशि शिवस्त्रैलोक्य-नायकः ।।३… Read More
श्री दुर्गा कवचम् (रुद्रयामलोक्त) श्री दुर्गा कवचम् (रुद्रयामलोक्त) ।।श्री भैरव उवाच।। अधुना देवि वक्ष्येऽहं कवचं मन्त्रगर्भकम् । दुर्गायाः सारसर्वस्वं कवचेश्वरसञ्ज्ञकम् ।।१ परमार्थप्रदं नित्यं महापातकनाशनम् । योगिप्रियं योगीगम्यं देवानामपि दुर्लभम् ।।२ विना दानेन मन्त्रस्य सिद्धिर्देवि कलौ भवेत् । धारणादस्य देवेशि शिवस्त्रैलोक्यनायकः ।।३… Read More
देवी-नैवेद्य चैत्रादि मासों, प्रतिपदादि-तिथियों एवं रवि-वारादि दिनों में देवी-नैवेद्य किस तिथि में, किस वार में, कौन-सा नैवेद्य लगाना चाहिए, इसका विवरण यहाँ दिया जा रहा है, जो ‘श्रीमद्-देवी-भागवत’ के आधार पर है। श्रद्धालु-जन इनके अनुसार यथा-सम्भव पूजन कर विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं।… Read More
श्रीचण्डिका-हृदय-स्तोत्र श्रीचण्डिका-हृदय-स्तोत्र प्रस्तुत मन्त्रात्मक-श्रीचण्डिका-हृदय-स्तोत्र का सविधि तीनों सन्ध्याओं में पाठ करने से पाठ करने वाले व्यक्ति की सभी कामनाएँ पूर्ण होती है । प्रति सन्ध्या-काल में इस स्तोत्र का पाठ २१-२१ बार करना चाहिए । केवल पहले पाठ में विनियोग से ध्यान तक की प्रारम्भिक क्रिया और अन्तिम पाठ में फल-श्रुति का पाठ करना चाहिए ।… Read More
ब्रह्माण्डविजयं नाम दुर्गाकवचम् ब्रह्माण्डविजयं नाम दुर्गाकवचम् नारायण उवाच श्रृणु नारद वक्ष्यामि दुर्गायाः कवचं शुभम् । श्रीकृष्णेनैव यद् दत्तं गोलोके ब्रह्मणे पुरा ।।१ ब्रह्मा त्रिपुर-संग्रामे शंकराय ददौ पुरा । जघान त्रिपुरं रुद्रो यद् धृत्वा भक्तिपूर्वकम् ।।२ हरो ददौ गौतमाय पद्माक्षाय च गौतमः । यतो बभूव पद्माक्षः सप्तद्वीपेश्वरो जयी ।।३ यद् धृत्वा पठनाद् ब्रह्मा ज्ञानवाञ्छक्तिमान् भुवि । शिवो बभूव सर्वज्ञो… Read More
प्रकृतेर्ब्रह्माण्ड-मोहन-कवचम् प्रकृतेर्ब्रह्माण्ड-मोहन-कवचम् ।। नारद उवाच ।। भगवन् सर्वधर्मज्ञ सर्वज्ञानविशारद । ब्रह्माण्डमोहनं नाम प्रकृतेः कवचं वद ।।१ ।। नारायण उवाच ।। श्रृणु वक्ष्यामि हे वत्स कवचं च सुदुर्लभम् । श्रीकृष्णेनैव कथितं कृपया ब्रह्मणे पुरा ।।२… Read More
श्रीमद्-देवी-भगवत की ज्ञान-दायिनी सिद्ध देवी-स्तुति श्रीमद्-देवी-भगवत की ज्ञान-दायिनी सिद्ध देवी-स्तुति नमो देव्यै प्रकृत्यै च, विधात्र्यै सततं नमः । कल्याण्यै कामदायै च, वृद्ध्यै सिद्ध्यै नमो नमः ।।१ सच्चिदानन्द-रुपिण्यै, संसारारणये नमः । पञ्च-कृत्य-विधात्र्यै ते, भुवनेश्यै नमो नमः ।।२ सर्वाधिष्ठान-रुपायै, कूटस्थायै नमो नमः । अर्ध-मात्रार्थ-भूतायै, हृल्लेखायै नमो नमः ।।३… Read More
भगवती षोडशी भगवती षोडशी ‘दस महा-विद्याओ’ में तीसरी महा-विद्या भगवती षोडशी है, अतः इन्हें तृतीया भी कहते हैं । यहाँ यह उल्लेखनीय है कि वास्तव में आदि-शक्ति एक ही हैं, उन्हीं का आदि रुप ‘काली’ है और उसी रुप का विकसित स्वरुप ‘षोडशी’ है, इसी से ‘षोडशी’ को ‘रक्त-काली’ नाम से भी स्मरण किया जाता है ।… Read More
सप्त-श्लोकी चण्डी-पाठ हिन्दी सप्त-श्लोकी चण्डी-पाठ ।। श्री शिव बोले ।। ।। पूर्व पीठिका ।। तुम हो देवी ! भक्ति-सुलभ, सब कार्य कलापों की स्वामिनि हो । बोलो, कलि में कार्य-सिद्धि-हित, जन को क्या उपाय करना है ? ।। श्रीदेवी बोलीं ।। कलियुग का उत्तम-तम साधन, श्रवण करें हे देव ! ध्यान धर । बतलाती मैं स्नेह-सहित, केवल… Read More
सिद्ध शूलिनी दुर्गा-स्तुति सिद्ध शूलिनी दुर्गा-स्तुति दुःख दुशासन पत चीर हाथ ले, मो सँग करत अँधेर । कपटी कुटिल मैं दास तिहारो, तुझे सुनाऊँ टेर ।। मैय्या॰ ।।१ बुद्धि चकित थकित भए गाता, तुम ही भवानी मम दुःख-त्राता । चरण शरण तव छाँड़ि कित जाऊँ, सब जीवन दुःख निवेड़ ।।मैय्या॰ ।।२ भक्ति-हीन शक्ति के नैना, तुझ बिन तड़पत… Read More