शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 13 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 13 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता तेरहवाँ अध्याय अन्धकेश्वरलिंगकी महिमा एवं बटुककी उत्पत्तिका वर्णन सूतजी बोले— हे द्विजो ! जिस प्रकार शिवजी तीनों लोकोंमें लिंगस्वरूपसे पूजनीय हुए, उस वृत्तान्तको मैंने प्रीतिपूर्वक बता दिया; अब आपलोग और क्या सुनना चाहते हैं ? ॥ १ ॥ ऋषिगण… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 12 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 12 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता बारहवाँ अध्याय हाटकेश्वरलिंगके प्रादुर्भाव एवं माहात्म्यका वर्णन ऋषि बोले— हे सूतजी ! आप व्यासजीकी कृपासे सब कुछ जानते हैं, कोई भी बात आपसे अज्ञात नहीं है, इसीलिये हमलोग आपसे पूछते हैं ॥ १ ॥ आपने पूर्वमें कहा था कि… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 11 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 11 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता ग्यारहवाँ अध्याय उत्तरदिशामें विद्यमान शिवलिंगोंके वर्णन — क्रममें चन्द्रभाल एवं पशुपतिनाथलिंगका माहात्म्य — वर्णन ऋषिगण बोले— हे महाभाग ! हे सूतजी ! शिवजीमें आसक्त चित्तवाले आप धन्य हैं, जो कि आपने महाबलेश्वर लिंगकी यह अद्भुत कथा हमें सुनायी ।… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 10 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 10 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता दसवाँ अध्याय महाबलेश्वर शिवलिंगके माहात्म्य – वर्णन – प्रसंगमें राजा मित्रसहकी कथा सूतजी बोले — [ हे महर्षियो ! ] समृद्धिसम्पन्न इक्ष्वाकुवंशमें परम धार्मिक तथा सभी धनुषधारियोंमें श्रेष्ठ मित्रसह नामक राजा था ॥ १ ॥ उस राजाकी मदयन्ती नामक… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 09 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 09 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता नौवाँ अध्याय संयोगवश हुए शिवपूजनसे चाण्डालीकी सद्गतिका वर्णन ऋषिगण बोल— हे सूतजी ! हे महाभाग ! आप परम शैव हैं, अतः आप धन्य हैं, हे विभो ! वह चाण्डाली कौन थी, उसकी कथा कहिये ॥ १ ॥ सूतजी बोल—… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 08 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 08 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता आठवाँ अध्याय पश्चिम दिशाके शिवलिंगोंके वर्णन—क्रममें महाबलेश्वरलिंगका माहात्म्य—कथन सूतजी बोले— हे ब्राह्मणो ! अब पश्चिम दिशामें जो—जो लिंग भूतलपर प्रसिद्ध हैं, उन शिवलिंगोंको सद्भक्तिपूर्वक सुनिये ॥ १ ॥ कपिला नगरीमें कालेश्वर एवं रामेश्वर नामक दो महादिव्य लिंग हैं, जो… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 07 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 07 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता सातवाँ अध्याय नन्दिकेश्वरलिंगका माहात्म्य – वर्णन ऋषिगण बोले— हे सूत ! हे प्रभो ! वैशाखमासके शुक्लपक्षकी सप्तमीके दिन नर्मदानदीमें गंगाजी कैसे आयी थीं; इसे विशेषरूपसे बताइये । हे महामते ! उस स्थानपर शिवजी नन्दिकेश नामसे कैसे प्रसिद्ध हुए; आप… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 06 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 06 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता छठा अध्याय नर्मदा एवं नन्दिकेश्वरके माहात्म्य-कथनके प्रसंगमें ब्राह्मणीकी स्वर्गप्राप्तिका वर्णन सूतजी बोले — [ हे ऋषियो !] वहाँपर आँगनमें एक उत्तम गाय बँधी थी । रातको जब बाहर गया हुआ [गृहपति] ब्राह्मण आया, तब हे मुनीश्वरो ! गायको बिना… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 05 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 05 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता पाँचवाँ अध्याय रेवा नदीके तटपर स्थित विविध शिवलिंग-माहात्म्य वर्णनके क्रममें द्विजदम्पतीका वृत्तान्त सूतजी बोले — दिव्य कालंजर पर्वतपर नीलकण्ठ नामक महादेव लिंगरूपसे सदा निवास करते हैं, जो भक्तजनोंको सर्वदा आनन्द प्रदान करनेवाले हैं ॥ १ ॥ उनकी महिमा परम… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 04 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 04 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता चौथा अध्याय अनसूयाके पातिव्रतके प्रभावसे गंगाका प्राकट्य तथा अत्रीश्वरमाहात्म्यका वर्णन सूतजी बोले – [हे महर्षियो ! ] किसी समय जब ब्रह्मवेत्ताओंमें श्रेष्ठ ऋषिवर अत्रि समाधिसे जगे, तब उन्होंने अपनी प्रिया पत्नीसे कहा – ‘ जल दो’ ॥ १ ॥… Read More