ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 39 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ उनतालीसवाँ अध्याय दुर्गा कवच का वर्णन नारदजी ने कहा — प्रभो ! महालक्ष्मी के मनोहर कवच का वर्णन तो आपने कर दिया। ब्रह्मन् ! अब दुर्गतिनाशिनी दुर्गा के उस उत्तम कवच को बतलाइये, जो पद्माक्ष के प्राणतुल्य, जीवनदाता, बल का हेतु, कवचों का… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 38 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ अड़तीसवाँ अध्याय सुचन्द्र-पुत्र पुष्कराक्ष के साथ परशुराम का युद्ध, पाशुपतास्त्र छोड़ने के लिये उद्यत परशुराम के पास विष्णु का आना और उन्हें समझाना, विष्णु का विप्रवेष से पुत्र सहित पुष्कराक्ष से लक्ष्मीकवच तथा दुर्गाकवच को माँग लेना, लक्ष्मीकवच का वर्णन श्रीनारायण कहते हैं… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 37 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सैंत्तीसवाँ अध्याय दशाक्षरी महाविद्या तथा काली कवच का वर्णन नारदजी ने कहा — सर्वज्ञ नाथ ! अब मैं आपके मुख से भद्रकाली कवच तथा उस दशाक्षरी महाविद्या को सुनना चाहता हूँ । श्रीनारायण बोले — नारद! मैं दशाक्षरी महाविद्या तथा तीनों लोकों में… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 36 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ छत्तीसवाँ अध्याय मत्स्यराज के वध के पश्चात् अनेकों राजाओं का आना और परशुराम द्वारा मारा जाना, पुनः राजा सुचन्द्र और परशुराम का युद्ध, परशुराम द्वारा कालीस्तवन, ब्रह्मा का आकर परशुराम को युक्ति बताना, परशुराम का राजा सुचन्द्र से मन्त्र और कवच माँगकर उसका… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 35 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ पैंतीसवाँ अध्याय राजा को युद्ध के लिये उद्यत देख मनोरमा का योग द्वारा शरीर त्याग, राजा का विलाप और आकाशवाणी सुनकर उसकी अन्त्येष्टि-क्रिया करना, युद्धयात्रा के समय नाना प्रकार के अपशकुन देखना, कार्तवीर्य और परशुराम का युद्ध तथा कार्तवीर्य का वध, नारायण द्वारा… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 34 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चौंतीसवाँ अध्याय परशुराम का कार्तवीर्य के पास दूत भेजना, दूत की बात सुनकर राजा का युद्ध के लिये उद्यत होना और रानी मनोरमा से स्वप्नदृष्ट अपशकुन का वर्णन करना, रानी का उन्हें परशुराम की शरण ग्रहण करने को कहना, परंतु राजा का मनोरमा… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 33 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तैंतीसवाँ अध्याय पुष्कर में जाकर परशुराम का तपस्या करना, श्रीकृष्ण द्वारा वर-प्राप्ति, आश्रम पर मित्रों के साथ उनका विजय यात्रा करना और शुभ शकुनों का प्रकट होना, नर्मदा तट पर रात्रि में परशुराम को स्वप्न में शुभ शकुनों का दिखलायी देना श्रीनारायण कहते… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 32 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ बतीसवाँ अध्याय शिवजी का परशुराम को मन्त्र, ध्यान, पूजा-विधि और स्तोत्र प्रदान करना परशुराम ने कहा — नाथ ! जो सम्पूर्ण अङ्गों की रक्षा करनेवाला, सुखदायक, मोक्षप्रद, सार-सर्वस्व तथा शत्रुओं के संहार का कारण है, वह कवच तो मुझे प्राप्त हो गया ।… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 31 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ इकतीसवाँ अध्याय शिवजी का प्रसन्न होकर परशुराम को त्रैलोक्यविजय नामक कवच प्रदान करना नारद ने पूछा — भगवन्! अब मेरी यह सुनने की इच्छा है कि भगवान् शंकर ने दयावश परशुराम को कौन-सा मन्त्र तथा कौन-सा स्तोत्र और कवच दिया था ? उस… Read More


ब्रह्मवैवर्तपुराण-गणपतिखण्ड-अध्याय 30 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तीसवाँ अध्याय परशुराम का शिवजी से अपना अभिप्राय प्रकट करना, उसे ‘सुनकर भद्रकाली का कुपित होना, परशुराम का रोने लगना, शिवजी का कृपा करके उन्हें नाना प्रकार के दिव्यास्त्र एवं शस्त्रास्त्र प्रदान करना [ तदनन्तर महादेवजी के पूछने पर ] परशुराम ने कहा… Read More