September 28, 2015 | aspundir | Leave a comment पितृ-आकर्षण मन्त्र (कभी-कभी पितृ-पीड़ा से मनुष्य का जीवन दुःख-मय हो जाता है। निर्धारित कार्यों में बाधा, विफलता की प्राप्ति होती है। आकस्मिक दुर्घटनाएँ घटती है। पूरा कुटुम्ब दुःखी रहता है। ऐसी दशा में निम्नलिखित ‘प्रयोग’ करे। यह ‘प्रयोग’ निर्दोष है। पितृ-पीड़ा हो या न हो, सभी प्रकार की बाधाएँ नष्ट हो जाती है और सुख-शान्ति की प्राप्ति होती है। यदि यह ज्ञात हो कि किस पितृ की पीड़ा है, तो उस पितृ का मन-ही-मन आवाहन-पूजन कर निम्न ‘प्रयोग’ करे। पितृ-पीड़ा दूर हो जाएगी।) “ॐ नमो कामद काली कामाक्षा देवी। तेरे सुमरे, बेड़ा पार। पढ़ि-पढ़ि मारूँ, गिन-गिन फूल। जाहि बुलाई, सोई आये। हाँक मार हनुमान बीर, पकड़ ला जल्दी। दुहाई तोय, सीता सती, अञ्जनी माता की, मेरा मन्त्र साँचा, पिण्ड काँचा। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा।” विधिः- उक्त मन्त्र का राम-दूत परम-वीर श्री हनुमान जी के मन्दिर में एकान्त में, प्रतिदिन १ हजार जप ४१ दिन तक करें। यम-नियम का पालन करें। पहले दिन पूजन करें। ४१ दिन में मन्त्र चैतन्य हो जाएगा। ४२वें दिन, श्री हनुमानजी के उसी मन्दिर में २१ गुलाब के फूल लेकर जाए। हनुमानजी के सामने बैठकर उक्त मन्त्र से २१ फूलों को अभिमन्त्रित करें और मन-ही-मन संकल्प करें-“ज्ञात-अज्ञात पितृ-देवता मुझे दर्शन दें या आशीष दें।” इसके बाद सभी फूल, सभी दिशाओं-विदिशाओं में फेंक दें। फिर थोड़ी देर मन्दिर में रुके रहें, ध्यान से बैठे रहें। फिर गृह चले जायें। एक सप्ताह के अन्दर उचित निर्देश मिल जायेगा। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe