December 16, 2018 | aspundir | Leave a comment भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११९ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (ब्राह्मपर्व) अध्याय – ११९ यमदूत और नारकीय जीवोंके संवादके प्रसंगमें सूर्य-मन्दिरमें दीपदान करने एवं दीप चुराने के पुण्य-पापों का परिणाम ब्रह्माजी बोले— विष्णो ! एक समय घोर नरक में पड़े हुए भूखे, आर्त-दुःखी और विलाप करते हुए जीव से यमदूत ने कहा— मूढजनो ! अब अधिक विलाप करने से क्या लाभ होगा, प्रमादवश तुम सबने अपनी आत्मा की उपेक्षा कर रखी है । पहले तुम सबने यह विचार नहीं किया कि इन कर्मों का फल आगे भोगना पड़ेगा । यह शरीर थोड़े ही दिनों तक रहनेवाला है, विषय भी नाशवान् हैं, यह कौन नहीं जानता । हजारों जन्म के बाद एक बार मनुष्य-जन्म मिलता है, उसमें क्यों मूढजन भोगों की ओर दौड़ते हैं । वे पुत्र, स्त्री, गृह, क्षेत्र आदि के लिये प्रयत्नशील रहते हैं और उनमें आसक्त होकर अनेक दुष्कर्म करते हैं, वे मूढजन अपना हित नहीं जानते, वे यह भी नहीं जानते कि सूर्य, चन्द्र, काल तथा आत्मा— ये सभी मनुष्य के शुभ और अशुभ कर्मों को देखते रहते हैं अर्थात् साक्षीभूत हैं । न केवल एक जन्म अपितु सैकड़ों जन्मों में पुत्र, स्त्री आदिके लिये जो-जो भी कर्म किया जाता है, उसे अच्छी तरह से ये जानते रहते हैं । मोह की यह महिमा तो देखो कि नरक में भी ममता बनी रहती है । इस प्रकार परिणाम में भयंकर विषयों के द्वारा आकृष्ट चित्तवाले मनुष्यों की बुद्धि परमार्थ-तत्त्व की ओर नहीं होती । जिह्वाद्वारा भगवान् सूर्य का नाम लेने में कौन-सा श्रम है ? मन्दिर में दीप जलाने में भी अधिक परिश्रम नहीं पड़ता, परंतु यदि मनुष्य से इतना भी नहीं हो सकता तो अब रोदन और विलाप करने से क्या लाभ है ?(अहो मोहस्य माहात्म्यंममत्वं नरकेष्पि । क्रन्दते मातरं तातं पीड्यमानोऽपि यत्स्वयम् ॥ एवमाकृष्टचित्तानां विषयैः स्वादुतर्पणैः । नृणां न जायते बुद्धिः परमार्थविलोकिनी ॥ तथा च विषयासङ्गे करोत्यविरतं मनः । को हि भारो रवेर्नाम्नि जिह्वायाः परिकीर्तने ॥ वर्तितैलेऽमूल्ये च यद्वर्तिर्लभ्यते सुधा । अतो वै कतरो लाभः कातश्चिन्ता भवेत् तदा ॥ (ब्राह्मपर्व ११९ । १०-१३)) जैसा कर्म किया वैसा फल पाया । इसलिये पापकर्म में कभी भी बुद्धि नहीं लगानी चाहिये । यदि कोई अज्ञान से पापकर्म हो जाय तो सूर्यभगवान् की आराधना करे, जिससे सब पाप नष्ट हो जाते हैं । ब्रह्माजी बोले — यमदूत के ऐसे वचनों को सुनकर तथा भूख से व्याकुल, प्यास से सूखे कण्ठवाले, दुःख से पीड़ित वे नारकीय जीव उससे कहने लगे— ‘साधो ! हमने ऐसा कौनसा कर्म किया, जिससे हमें इस दारुण नरक में वास करना पड़ा ।’ यमदूत ने कहा— पूर्वजन्म में यौवनके उन्माद से उन्मादित तुम अविवेकियों ने घृत के लोभ में भगवान् सूर्य के मन्दिर से दीप चुराया था । उसी कारण इस घोर नरक में तुम सब दुःख भोग रहे हो । ब्रह्माजी बोले— अच्युत ! मैंने सूर्य के मन्दिर में दीपदान करने के पुण्य तथा दीप-हरण करने के दुष्परिणामों का वर्णन किया । दीपदान करने का तो सर्वत्र ही उत्तम फल है, परंतु सूर्यनारायण मन्दिर में विशेष फल है । जगत् में जो-जो अन्धा, मूक बधिर, विवेकहीन, निन्द्य व्यक्ति दिखायी पड़ते हैं, उन सबने साधुजनों द्वारा प्रज्वलित किये हुए दीपों को सूर्यनारायण के मन्दिर से हरण किया है । (अध्याय ११९) See Also :- 1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२ 2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3 3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४ 4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५ 5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६ 6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७ 7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९ 8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५ 9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६ 10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७ 11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८ 12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९ 13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २० 14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१ 15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२ 16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३ 17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६ 18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७ 19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८ 20. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २९ से ३० 21. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३१ 22. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३२ 23. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३३ 24. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३४ 25. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३५ 26. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३६ से ३८ 27. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३९ 28. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४० से ४५ 29. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४६ 30. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४७ 31. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४८ 32. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४९ 33. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५० से ५१ 34. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५२ से ५३ 35. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५४ 36. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५५ 37. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५६-५७ 38. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५८ 39. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५९ से ६० 40. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६१ से ६३ 41. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६४ 42. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६५ 43. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६६ से ६७ 44. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६८ 45. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६९ 46. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७० 47. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७१ 48. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७२ से ७३ 49. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७४ 50. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७५ से ७८ 51. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७९ 52. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८० से ८१ 53. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८२ 54. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८३ से ८५ 55. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८६ से ८७ 56. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८८ से ९० 57. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९१ से ९२ 58. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९३ 59. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९४ से ९५ 60. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९६ 61. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९७ 62. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९८ से ९९ 63. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०० से १०१ 64. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०२ 65. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०३ 66. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०४ 67. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०५ से १०६ 68. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०७ से १०९ 69. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११० से १११ 70. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११२ 71. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११३ से ११४ 72. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११३ से ११४ 73. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११६ 74. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११७ 75. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११८ Related