January 22, 2016 | aspundir | Leave a comment शत्रु-संहारक शाबर मन्त्र 02 मन्त्रः- “तुमसे अरज करूँ, ऐ हो मात कालिका ! मोहि जो सतावे, सुख पावे न आठों याम । वाको तुम भक्ष लेओ, मेरी मात कालिका ! तुमसे अरज करूँ … ।। हाड़ तो हविष लेओ, खाल को खविष लेओ, गले पहिनो मात, आँतन की जालिका । तुमसे अरज करूँ … ।। क्रोध करी धाओ, शीघ्र धाओ मात । मेरे शत्रु ……… (अमुक) को गिराओ मात ! वाके रुधिर से नहाओ, टीका लगाओ रक्त-लाली का । तुमसे अरज करूँ … ।। देख के स्वरूप तेरा, योगिनी प्रसन्न होय । लागे वांके घाव, पाके वाँके पाँव । वाको अङ्गहू पिराय, वाको बालक मर जाय । मेरा दुःख न सहो अब मात कालिका ! तुमसे अरज करूँ … ।। विधि – रात्रि को दीपक जलाकर कम-से-कम १०८ पाठ नित्य करे । अथवा कालिका – मन्दिर में २१ दिनो तक ११ माला प्रतिदिन जपें । Related