September 27, 2024 | aspundir | Leave a comment शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 02 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता दूसरा अध्याय काशीस्थित तथा पूर्व दिशामें प्रकटित विशेष एवं सामान्य लिंगों का वर्णन सूतजी बोले- गंगाके तटपर परम प्रसिद्ध काशी नगरी है, जो सबको मुक्ति प्रदान करनेवाली है। उसे लिंगमयी ही जानना चाहिये, वह सदाशिवकी निवास- स्थली मानी गयी है ॥ १ ॥ वहींपर अविमुक्त नामका मुख्य लिंग कहा गया है। उसीके समान कृत्तिवासेश्वरलिंग एवं वृद्धकाल लिंग काशीमें है। काशीमें तिलभाण्डेश्वर तथा दशाश्वमेध लिंग है । गंगासागरके संगमपर संगमेश्वर नामक लिंग कहा गया है ॥ २-३ ॥ जिन्हें भूतेश्वर कहा गया है और जो नारीश्वर नामसे विख्यात हैं- ये कौशिकी नदीके तटपर विराजमान हैं और भक्तोंको सभी फल प्रदान करनेवाले हैं ॥ ४ ॥ महानन्दमनन्तलीलं महेश्वरं सर्वविभुं महान्तम् ।गौरीप्रियं कार्तिकविघ्नराज-समुद्भवं शङ्करमादिदेवम् ॥ गण्डकी नदीके तटपर बटुकेश्वर नामक लिंग है । फल्गु नदीके तटपर सुखदायी पूरेश्वर नामक लिंग है । उत्तर नामक नगरमें सिद्धनाथेश्वर तथा दूरेश्वर नामक लिंग हैं, जो दर्शनमात्रसे मनुष्योंको सिद्धि प्रदान करनेवाले हैं ॥ ५-६ ॥ शृंगेश्वर तथा वैद्यनाथेश्वर नामक लिंग भी वैसे ही हैं । दधीचिकी संग्रामभूमिमें जप्येश्वर नामक प्रसिद्ध लिंग है। इसी प्रकार गोपेश्वर, रंगेश्वर, वामेश्वर, नागेश्वर, कामेश्वर तथा विमलेश्वर नामक लिंग कहे गये हैं ॥ ७-८ ॥ व्यासेश्वर, शुकेश्वर, भाण्डेश्वर, हुंकारेश्वर, सुरोचनेश्वर, भूतेश्वर, संगमेश्वर नामक लिंग कहे गये हैं, जो महापातकका नाश करनेवाले हैं ॥ ९-१० ॥ तप्तका नदीके तटपर कुमारेश्वर, सिद्धेश्वर तथा सेनेश्वर नामक प्रसिद्ध लिंग कहे गये हैं ॥ ११ ॥ पूर्णा नदीके तटपर रामेश्वर, कुम्भेश्वर, नन्दीश्वर, पुंजेश्वर तथा पूर्णकेश्वर लिंग कहे गये हैं ॥ १२ ॥ पूर्व समयमें ब्रह्माके द्वारा प्रयागके दशाश्वमेध तीर्थमें स्थापित किया गया ब्रह्मेश्वर नामक लिंग धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्षको देनेवाला है ॥ १३ ॥ वहींपर सभी विपत्तियोंको दूर करनेवाला सोमेश्वर नामक लिंग तथा ब्रह्मतेजकी वृद्धि करनेवाला भारद्वाजेश्वर नामक लिंग है। वहींपर कामनाओंको देनेवाला साक्षात् शूलटंकेश्वर लिंग तथा भक्तोंकी रक्षा करनेवाला माधवेश्वर लिंग बताया गया है ॥ १४-१५ ॥ हे द्विजो! साकेत (अयोध्यापुरी) – में नागेश नामका प्रसिद्ध लिंग है, जो विशेष रूपसे सूर्यवंशमें उत्पन्न हुए लोगोंको सुख देनेवाला है ॥ १६ ॥ पुरुषोत्तम ( जगन्नाथ) – पुरीमें उत्तम सिद्धि प्रदान करनेवाला भुवनेश्वर लिंग है। लोकेश्वर नामक महालिंग सभी प्रकारके आनन्दको देनेवाला है ॥ १७ ॥ कामेश्वर तथा गंगेश शिवलिंग परम शुद्धि प्रदान करनेवाले हैं। इसी प्रकार लोकहित करनेवाला तथा शुक्रको सिद्धि प्रदान करनेवाला शुक्रेश्वर लिंग है । वटेश्वर नामक लिंग सभी कामनाओंका फल प्रदान करनेवाला कहा गया है । सिन्धुतटपर स्थित कपालेश्वर एवं वक्त्रेश्वर सभी पापोंको दूर करनेवाले हैं ॥ १८-१९ ॥ धौतपापेश्वर, भीमेश्वर तथा सूर्येश्वर नामक लिंग साक्षात् शिवके अंश कहे गये हैं । लोकपूजित नन्दीश्वर लिंगको ज्ञानप्रद जानना चाहिये । नाकेश्वर तथा रामेश्वर महापुण्यके प्रदाता कहे गये हैं॥ २०-२१ ॥ विमलेश्वर, कण्टकेश्वर तथा धर्तुकेश नामक लिंग पूर्व सागरके संगमपर स्थित हैं । चन्द्रेश्वरको चन्द्रमाके समान कान्तिरूप फलको देनेवाला जानना चाहिये । सिद्धेश्वर नामक लिंग सम्पूर्ण कामनाओंको सिद्ध करनेवाला कहा गया है ॥ २२-२३ ॥ जहाँपर शिवजीने पूर्वकालमें अन्धक दैत्यका वध किया था, वहीं पर बिल्वेश्वर तथा अन्धकेश्वर लिंग भी प्रसिद्ध हैं । [ अन्धकका वध करनेके उपरान्त ] ये शिवजी अपने अंशसे स्वरूप धारणकर पुन: वहीं स्थित हो गये। सर्वदा लोकको सुख देनेवाला शरणेश्वर लिंग तो प्रसिद्ध ही है ॥ २४-२५ ॥ कर्दमेश्वरको श्रेष्ठ लिंग कहा गया है। कोटीश अर्बुदाचलपर स्थित हैं। प्रसिद्ध अचलेश नामक लिंग लोगोंको सदा सुख देनेवाला है। कौशिकी नदीके तटपर नागेश्वर लिंग नित्य विराजमान है । अनन्तेश्वर नामक लिंग कल्याण तथा मंगल करनेवाला है॥ २६-२७ ॥ योगेश्वर, वैद्यनाथेश्वर, कोटीश्वर तथा सप्तेश्वर लिंग विख्यात कहे गये हैं । भद्र नामक शिव भद्रेश्वर लिंगके रूपमें विख्यात हैं । इसी प्रकार चण्डीश्वर तथा संगमेश्वर भी कहे जाते हैं ॥ २८-२९ ॥ पूर्व दिशामें जितने विशेष एवं सामान्य लिंग प्रकट हुए हैं, इस प्रसंगमें उन सभीका वर्णन मैंने आपसे किया। हे मुनिश्रेष्ठ ! अब दक्षिण दिशामें जो शिवलिंग प्रकट हुए हैं, उनका वर्णन मैं आपसे करता हूँ ॥ ३०-३१ ॥ ॥ इस प्रकार श्रीशिवमहापुराणके अन्तर्गत चतुर्थ कोटिरुद्रसंहितामें शिवलिंगमाहात्म्यवर्णन नामक दूसरा अध्याय पूर्ण हुआ ॥ २ ॥ Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe