सर्प-भय-विनाशक नागिनी द्वादश नाम स्तोत्र
जरत्कारुर्जगद्-गौरी, मनसा सिद्ध-योगिनी ।
वैष्णवी नाग-भगिनी, शैवी नागेश्वरी तथा ।।
जरत्कारु-प्रियाऽऽस्तोक-माता विष-हरेति च ।
महा-ज्ञान-युता चैव, सा देवी विश्व-पूजिता ।।
द्वादशैतानि नामानि, पूजा-काले तु यः पठेत् ।
तस्य नाग-भयं नास्ति, सर्वत्र विजयी भवेत् ।।

vadicjagat जरत्कारु, जगद्-गौरी, मनसा, सिद्ध-योगिनी, वैष्णवी, नाग-भगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जरत्कारु-प्रिया, आस्तीक-माता, विष-हरा और महा-ज्ञानयुता – नामक देवी सारे संसार में पूजा जाती है । पूजन काल में जो व्यक्ति इन बारह नामों को पढ़ता है, उसे नाग का भय नहीं होता और सभी कार्यों में विजय मिलती है ।

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