October 16, 2015 | aspundir | Leave a comment कार्य-सिद्ध भैरव शाबर मन्त्र मन्त्रः- “ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भु-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार पहर खोले चोपटा, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि बाँध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार । भूत मोहूँ, प्रेत मोहूँ, जिन्द मोहूँ, मसान मोहूँ, घर का मोहूँ, बाहर का मोहूँ, बम-रक्कस मोहूँ, कोढ़ा मोहूँ, अघोरी मोहूँ, दूती मोहूँ, दुमनी मोहूँ, नगर मोहूँ, घेरा मोहूँ, जादू-टोना मोहूँ, डंकणी मोहूँ, संकणी मोहूँ, रात का बटोही मोहूँ, पनघट की पनिहारी मोहूँ, इन्द्र का इन्द्रासन मोहूँ, गद्दी बैठा राजा मोहूँ, गद्दी बैठा बणिया मोहूँ, आसन बैठा योगी मोहूँ, और को देखे जले-भुने मोय देखके पायन परे। जो कोई काटे मेरा वाचा अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे, धरी को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बताय दे, गाँव को बताय दे, खोए को मिलाए दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता क चोंखा दूध हराम करे । हनुमान की आण, गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा-विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चमारी की आण, माता गौरा पारवती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।” विधिः- सर्व-कार्य सिद्ध करने वाला यह मंत्र अत्यन्त गुप्त और अत्यन्त प्रभावी है । इस मंत्र से केवल परोपकार के कार्य करने चाहिए । १॰ रविवार को पीपल के नीचे अर्द्धरात्रि के समय जाना चाहिए, साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शक्कर, पञ्चमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिये, चन्दन का बुरादा एवं लाल लूंगी आदि वस्तुएँ ले जानी चाहिए । लाल लूंगी पहन कर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजन करें, धूप देकर सब सामान अर्पित करे । साथ में तलवार और लालटेन रखनी चाहिए । प्रतिदिन १०८ बार २१ दिन तक जप करें । यदि कोई कौतुक दिखाई पड़े तो डरना नहीं चाहिए । मंत्र सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब आग पर धूप डालकर तीन बार मंत्र पढ़ने से कार्य सिद्ध होंगे । ऊपर जहाँ चौका लगाने के बारे में बताया गया है, उसका अर्थ यह है कि पीली मिट्टी से चौके लगाओ । चार चौकियाँ अलग-अलग बनायें । पहली धूनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंह की । यह चारों चौकों में कायम करो । आग रखकर चारों में हवन करें । गुरु की पूजा में गूग्गूल नहीं डाले । नरसिंह की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब डालें । २॰ उक्त मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकान्त में स्थापित करें । उसके ऊपर तेल-सिन्दूर का लेप करें । पान और नारियल भेंट में चढ़ाए । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए । दीपक अखण्ड रहे, तो अधिक उत्तम फल होगा । मन्त्र को नित्य २७ बार जपे । चालिस दिन तक जप करें । इस प्रकार उक्त मन्त्र सिद्ध हो जाता है । नित्य जप के बाद छार, छबीला, कपूर, केसर और लौंग की आहुति देनी चाहिए । भोग में बाकला, बाटी रखनी चाहिए । जब भैरव दर्शन दें, तो डरें नहीं, भक्ति-पूर्वक प्रणाम करें और उड़द के बने पकौड़े, बेसन के लड्डू तथा गुड़ मिला कर दूध बलि में अर्पित करें । मन्त्र में वर्णित सभी कार्य सिद्ध होते हैं । Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe