December 15, 2018 | aspundir | Leave a comment भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११३ से ११४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (ब्राह्मपर्व) अध्याय – ११३ से ११४ कौसल्या और गौतमीके संवाद-रूप में भगवान् सूर्यका माहात्म्य-निरूपण तथा भगवान् सूर्यके प्रिय पत्र-पुष्पादि का वर्णन ब्रह्माजी बोले — जनार्दन ! देवलोक में गौतमी और कौसल्या का सूर्य के विषय में एक पुरातन संवाद प्रसिद्ध है । एक बार गौतमी ब्राह्मणी ने स्वर्ग में अपने पतिके साथ अतिशय रमणीय कौसल्या को देखकर आश्चर्यचकित होकर पूछा — कौसल्ये ! स्वर्ग में निवास करनेवाले सैकड़ों देवता, अनेक देवाङ्गनाएँ हैं, इसी प्रकार सिद्धगण और उनकी पत्नियाँ आदि भी हैं, किंतु उनमें न ऐसी गन्ध है, न ऐसी कान्ति है, न ऐसा रूप है । धारण किये हुए वस्त्र तथा आभूषण भी ऐसे नहीं सुशोभित हो रहे हैं, जैसे कि आप दोनों स्त्री-पुरुषों के हो रहे हैं । आप दोनों ने कौन-सा ऐसा तप, दान अथवा होमकर्म किया है, जिसका यह फल है । आप इसका वर्णन करें । कौसल्या बोली — गौतमी ! हम दोनों ने यज्ञेश्वर भगवान् सूर्य को श्रद्धापूर्वक आराधना की है । सुगन्धित तीर्थजलों से तथा घृत से उन्हें स्नान कराया है । उन्हीं की कृपा से हमने स्वर्ग, निर्मल कान्ति, प्रसन्नता, सौम्यता और सुख प्राप्त किया है । हमलोगों के पास जो भी आभूषण, वस्त्र, रत्न आदि प्रिय वस्तुएँ हैं, उन्हें भगवान् सूर्यको अर्पण करनेके बाद ही हम धारण करते हैं । स्वर्ग-प्राप्ति की अभिलाषा से हम दोनों ने भगवान् सूर्य की आराधना की थी और उस आराधना के फलस्वरूप ही हमलोग स्वर्ग का सुख भोग रहे हैं । जो निष्काम भाव से भली-भाँति सूर्य की उपासना करता है, उसे भगवान् सूर्य मुक्ति प्रदान करते हैं । त्रिलोक के सृष्टिकर्ता सविता की तृप्ति से ही सब कुछ प्राप्त होता है ।ब्रह्माजी बोले — विष्णो ! मार्तण्ड भगवान् सूर्य की आराधना से मैंने भी अभीष्ट कामनाओं को प्राप्त किया है, जो अनन्त-काल तक रहने वाली हैं । चन्दन, अगरु, कपूर, कुंकुम तथा उशीर (खस, गंडदूर्वा या गाँडर नाम की घास की प्रसिद्ध सुगंधित जड़) से जो भगवान् सूर्य को अनुलिप्त करता है, प्रसन्न होकर भगवान् सूर्य उसे लक्ष्मी प्रदान करते हैं । कालेयक (काला चन्दन), तुरुष्क (एक गंधद्रव्य । लोबान ।), रक्त-चन्दन, गन्ध, विजयधूप तथा और भी जो अपनेको इष्ट पदार्थ हों, उन्हें भगवान् सूर्य को निवेदित करना चाहिये । मालती, मल्लिका, जूही, अतिमुक्तक पाटला, करवीर, जपा, कुंकुम, तगर, कर्णिका, चम्पक, केतक (केवड़ा), कुन्द, अशोक, तिलक, लोध्र, कमल, अगस्ति, पलाश आदि के पुष्प भगवान् सूर्यदेव को विशेष प्रिय हैं । बिल्वपत्र, शमीपत्र, भृङ्गराज-पत्र, तमालपत्र आदि भगवान् सूर्य को प्रिय हैं । अतः उन्हें अर्पण करना चाहिये । कृष्णा तुलसी, केतकी के पुष्प और पत्र तथा रक्तचन्दन के अर्पण करने से भगवान् सूर्य सद्यः प्रसन्न होते हैं । नीलकमल, श्वेतकमल और अनेक सुगन्धित पुष्प भगवान् सूर्य को चढ़ाने चाहिये, किंतु कुटज, शाल्मलि और गन्धरहित पुष्प सूर्य को नहीं बढ़ाने चाहिये, इन्हें चढ़ाने से दारिद्र्य, भय और रोग की प्राप्ति होती है । जिनका निषेध न हो वे ही पुष्प भगवान् को चढ़ाने चाहिये । उत्तम धूप, मुरा, माँसी, कपूर, अगरु, चन्दन तथा दूसरे सुन्दर पदार्थों से भगवान् वनमाली की अर्चना करनी चाहिये । विविध रेशमी तथा कपास द्वारा निर्मित उत्तरीय आदि वस्त्र तथा जो अपने को भी प्रिय हैं ऐसा वस्त्र सूर्यभगवान् को चढ़ाना चाहिये । फल तथा नैवेद्यादि भी जो अपने को प्रिय हों उन्हें देना चाहिये । सुवर्ण, चाँदी, मणि और मुक्ता आदि जो अपने को प्रिय हों, उन्हें भी भगवान् सूर्य को निवेदित करना चाहिये । अपने को भास्कर के रूप में मानकर सारी यज्ञ-क्रियाएँ अव्यक्तरूप भगवान् सूर्य को निवेदित करनी चाहिये । (आत्मानं भास्करं मत्वा यज्ञं तस्मै निवेदयेत् । तत्तदव्यक्तरुपाय भास्कराय निवेदयेत् गई जम्मै निवेदयेत् ॥ (ब्राह्मपर्व ११५ । ३७)(अध्याय ११५) See Also :- 1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२ 2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3 3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४ 4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५ 5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६ 6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७ 7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९ 8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५ 9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६ 10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७ 11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८ 12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९ 13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २० 14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१ 15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२ 16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३ 17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६ 18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७ 19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८ 20. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २९ से ३० 21. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३१ 22. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३२ 23. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३३ 24. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३४ 25. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३५ 26. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३६ से ३८ 27. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३९ 28. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४० से ४५ 29. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४६ 30. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४७ 31. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४८ 32. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४९ 33. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५० से ५१ 34. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५२ से ५३ 35. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५४ 36. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५५ 37. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५६-५७ 38. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५८ 39. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५९ से ६० 40. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६१ से ६३ 41. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६४ 42. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६५ 43. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६६ से ६७ 44. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६८ 45. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६९ 46. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७० 47. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७१ 48. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७२ से ७३ 49. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७४ 50. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७५ से ७८ 51. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७९ 52. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८० से ८१ 53. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८२ 54. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८३ से ८५ 55. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८६ से ८७ 56. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८८ से ९० 57. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९१ से ९२ 58. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९३ 59. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९४ से ९५ 60. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९६ 61. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९७ 62. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९८ से ९९ 63. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०० से १०१ 64. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०२ 65. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०३ 66. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०४ 67. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०५ से १०६ 68. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०७ से १०९ 69. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११० से १११ 70. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११२ 71. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११३ से ११४ Related