श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-072 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ बहत्तरवाँ अध्याय विनायक का पिता कश्यप के आश्रम में आगमन, काशिराज द्वारा विनायक की महिमा का कथन, काशिराज का काशी में प्रत्यागमन तथा दुण्डिविनायक की स्थापना, माता अदिति तथा कश्यप को आश्वासन देकर विनायक का निजलोकगमन अथः द्विसप्ततितमोऽध्यायः विनायकचरित्रकथनं ब्रह्माजी बोले — काशिराज के दूत ने विनायक की माता देवी… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-071 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ इकहत्तरवाँ अध्याय काशिराज का अपने सभासदों से वार्तालाप, मगधराज की कन्या के साथ काशिराज के पुत्र का विवाह, विनायक को साथ लेकर काशिराज का महर्षि कश्यप के आश्रम में गमन, पुरवासियों का वियोग में व्यथित होना तथा विनायक द्वारा उन्हें पुनः आने का आश्वासन देना अथः एकसप्ततितमोऽध्यायः विनायकाश्रमं प्रतिगमनं ब्रह्माजी… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-070 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ सत्तरवाँ अध्याय देवान्तक-वध अथः सप्ततितमोऽध्यायः बालचरिते पुरप्रवेश ब्रह्माजी बोले — भय से भ्रमित बुद्धि वाला वह देवान्तक जब ऐसा कह रहा था, तभी विनायकदेव ने उसे छोटे बालक के समान उठाकर अपनी गोद में ले लिया ॥ १ ॥ तदनन्तर गणों के स्वामी विनायक ने अपने प्रभाव से सुन्दर पद्मासन… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-069 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ उनहत्तरवाँ अध्याय विनायक और देवान्तक के युद्ध का वर्णन अथः एकोनसप्ततितमोऽध्यायः मायाप्रदर्शनं ब्रह्माजी कहते हैं — तब देवान्तक अत्यन्त विस्मित होकर अपने मन में विचार करने लगा कि इस विनायक का निवारण करने के लिये मैं जैसे-जैसे माया का प्रयोग कर रहा हूँ, वैसे-वैसे ही यह बालक भी अपने पुरुषार्थ… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-068 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ अड़सठवाँ अध्याय विनायक और देवान्तक के युद्ध का वर्णन अथः अष्टषष्टितमोऽध्यायः भयानकास्त्रयुद्ध ब्रह्माजी कहते हैं —तदनन्तर दैत्य देवान्तक ने दो बाणों को आदरपूर्वक अभिमन्त्रित किया। उसने एक बाण को निद्रास्त्र से तथा दूसरे को गन्धर्वास्त्र से अभिमन्त्रित किया ॥ १ ॥ उसने बायें घुटने को आगेकर और धनुष की डोरी… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-067 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ सड़सठवाँ अध्याय विनायक और देवान्तक का युद्ध अथः सप्तषष्टितमोऽध्यायः अस्त्रयुद्धं ब्रह्माजी कहते हैं — उस सम्पूर्ण वृत्तान्त को जानकर विनायक अपने मन में महान् आश्चर्य करने लगे। तब वे क्रोधित तथा युद्ध के लिये उद्यत होकर सिंह पर सवार हुए। तदनन्तर उन्होंने अपने गर्जन से आकाश और दिशाओं को ध्वनित… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-066 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ छाछठवाँ अध्याय देवान्तक का अघोरमन्त्र से हवनकर दिव्य अश्व पाना और उस पर आरूढ़ हो रणक्षेत्र में जाना तथा सिद्धियों की सम्पूर्ण सेना का संहार कर डालना अथः षट्षष्टितमोऽध्यायः सिद्धिपराजय ब्रह्माजी कहते हैं — शारदा और रौद्रकेतु ने अपने पुत्र देवान्तक को रात में अकेले [लौटा हुआ] देखकर उसका आलिंगनकर… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-065 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ पैंसठवाँ अध्याय विनायक का बुद्धि को युद्ध के लिये भेजना, बुद्धि द्वारा एक भयंकर शक्ति का प्राकट्य और उस शक्ति द्वारा देवान्तक की सेना का संहार अथः पञ्चषष्टितमोऽध्यायः बुद्धिविजयं ब्रह्माजी कहते हैं — बुद्धिद्वारा कहे गये वचन को सुनकर भगवान् विनायक हर्षित होकर उससे बोले — भगवान् [ विनायक ]… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-064 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ चौंसठवाँ अध्याय देवान्तक से युद्ध में सिद्धिसेना की पराजय अथः चतुःषष्टितमोऽध्यायः बालचरितेऽष्टसिद्धिपराजय ब्रह्माजी कहते हैं — [ हे मुने!] कालान्तक दैत्य और प्राकाम्य का परस्पर युद्ध हो रहा था और जब कालान्तक प्राकाम्य पर विजय पाने ही वाला था, तभी वशित्व ने वेगपूर्वक वहाँ पहुँचकर प्राकाम्य की सहायता की और… Read More


श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-063 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ तिरसठवाँ अध्याय अणिमादि सिद्धियों की सेना का देवान्तक की सेना से युद्ध अथः त्रिषष्टितमोऽध्यायः बालचरिते शुक्रत्यागं दूतों ने कहा — हे राजन् ! काल को भी भयभीत कर देने वाले तथा नभःस्पर्शी मस्तक वाले अनेक प्रकार के असंख्य भयंकर दैत्यों से घिरे हुए महाभयंकर दैत्य देवान्तक ने आपकी नगरी को… Read More