हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय श्रावण महीने में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। हनुमानजी भी भगवान शिव के ही अवतार हैं। मान्यता के अनुसार, श्रावण में आने वाले मंगलवार को यदि हनुमानजी को प्रसन्न करने के कुछ आसान उपाय किए जाएं तो भक्तों की मनोकामना पूरी हो सकती है। हनुमानजी… Read More


गोवर्धन पर्वत धारण करने पर नीचे की भुमि जलमग्न क्यों नहीं हुई? एक समय शिवजी ने पार्वती जी के सामने सन्तों की बड़ी महिमा गाई। सन्तों की महिमा सुनकर पार्वती जी की श्रद्धा उमड़ी और उसी दिन उन्होंने श्री अगस्त्य मुनि को भोजन का निमन्त्रण दे डाला तथा शिवजी को बाद में इस बाबत बतलाया… Read More


ऋण-परिहारक प्रदोष व्रत ‘प्रदोष व्रत’ के दिन प्रातः स्नानादि के भगवान् शंकर का यथाशक्ति पञ्चोपचार या षोडशोपचार से पूजन करें। फिर निम्नलिखित ‘विनियोग’ आदि कर निर्दिष्ट मन्त्र का यथा-शक्ति २१ या ११ माला जप करे। संभव न हो, तो एक ही माला या केवल ११ बार जप करे। जितना अधिक जप होगा, उतना ही प्रभावी… Read More


पूजा के विविध उपचार संक्षेप और विस्तार के भेद से पूजा के अनेकों प्रकार के उपचार हैं- पञ्चोपचार-१॰ गन्ध, २॰ पुष्प, ३॰ धूप, ४॰ दीप और ५॰ नैवेद्य। दस उपचार- १॰ पाद्य, २॰ अर्घ्य, ३॰ आचमन, ४॰ स्नान, ५॰ वस्त्र-निवेदन, ६॰ गन्ध, ७॰ पुष्प, ८॰ धूप, ९॰ दीप और १०॰ नैवेद्य।… Read More


ध्यान का महत्त्व आप सभी ने प्रायः देखा होगा की मन्त्र जप करने से पूर्व शास्त्रों में विनियोग, न्यास, ध्यान आदि का वर्णन होता है। इनका क्या प्रयोजन है? ध्यान- स्थूल ध्यान द्वारा सूक्ष्म का बोध होता है। ‘कुलार्णव तन्त्र’ में स्पष्ट कहा गया है कि -‘जिस प्रकार गायों के सारे शरीर में व्याप्त दूध… Read More


सीता स्वयंवर में अयोध्या नरेश को आमंत्रण क्यों नहीं? राजा जनक के शासनकाल में एक व्यक्ति का विवाह हुआ। जब वह पहली बार सज-सँवरकर ससुराल के लिए चला, तो रास्ते में चलते-चलते एक जगह उसको दलदल मिला, जिसमें एक गाय फँसी हुई थी, जो लगभग मरने के कगार पर थी। उसने विचार किया कि गाय… Read More


तिलक महिमा स्नान एवं धौत वस्त्र धारण करने के उपरान्त वैष्णव ललाट पर ऊर्ध्वपुण्ड्र, शैव त्रिपुण्ड, गाणपत्य रोली या सिन्दूर का तिलक शाक्त एवं जैन क्रमशः लाल और केसरिया बिन्दु लगाते हैं। दिगम्बर जैन सम्प्रदाय में केसरिया तिलक तथा बौद्धों में श्वेताम्बर मतावलम्बियों के समान ही बिन्दु मस्तक पर धारण करते हैं। नारद पुराण में… Read More


तन्त्र शब्द के अर्थ बहुत विस्तृत हैं। यह शब्द ‘तन्’ और ‘त्र’ (ष्ट्रन) इन दो धातुओं से बना है, अतः “विस्तारपूर्वक तत्त्व को अपने अधीन करना”- यह अर्थ व्याकरण की दृष्टि से स्पष्ट होता है, जबकि ‘तन्’ पद से प्रकृति और परमात्मा तथा ‘त्र’ से स्वाधीन बनाने के भाव को ध्यान में रखकर ‘तन्त्र’ का… Read More


सर्वप्रथम गणेश का ही पूजन क्यों ? हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य का आरम्भ करने के पूर्व गणेश जी की पूजा करना आवश्यक माना गया है, क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता व ऋद्धि-सिद्धि का स्वामी कहा जाता है। इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है।… Read More


देवोपासना के कुछ सरल उपाय देवताओं की उपासना की अनेक विधियाँ शास्त्रों में दी गई है। उन विधियों का पालन करने से अपने इष्ट की कृपा सहज ही प्राप्त की जा सकती है। उनमें से ही कुछ सरल उपाय यहाँ प्रस्तुत है।- १॰ प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी को सिन्दूर चढ़ाना तथा उनके गले में… Read More