बाधा-निवारक शाबर मन्त्र मन्त्रः- “ॐ-कार गुरु गोविन्द को नमस्कार । चलु चलु सब देवतन की शक्ति । भूत-प्रेत-पिशाच, कुल-दोष, गोत्र-वध, चमर-दोष कुल मह, केहू कर मारा मुवा वा, मुवा मिरचुक केतहू कर, किहा आइ होइ, नन औरेक, अजि औरेक, ससुरारीक, बैताल, जोगनी चरी चमारी, देव-दानव, भैरो-भवानी, मरी-मसान, हड़न्त, गड़न्त, भूत-प्रेत, शाकिनी, डाकिनी, तर धरती कर… Read More


अन्न-पूर्णा देवी का सिद्ध मन्त्र मन्त्रः- “ॐ सत्त नाम का सभी पसारा, धरन गगन में जो वर तारा । मन की जाप जहाँ लग आखा, तहँ-तहँ सत्त नाम की राखा । अन्न-पूरना पास गई बैठाली, थुड़ी गई खुसाली । चिनत मनी कलप तराये, काम-धेनु को साथ लियाये । आया आप कुबेर भण्डारी, साथ लक्ष्मी आज्ञाकारी… Read More


अघोर शाबर मन्त्र मन्त्रः- “ॐ नमो आदेश गुरु । घोर-घोर, काजी की कुरान घोर, मुल्ला की बांग घोर, रेगर की कुण्ड घोर, धोबी की चूण्ड घोर, पीपल का पान घोर, देव की दीवाल घोर । आपकी घोर बिखेरता चल, पर की घोर बैठाता चल । वज्र का कीवाड़ जोड़ता चल, सार का कीवाड़ तोड़ता चल… Read More


श्रीबटुक-भैरव-मन्त्र-जप-विधि विनियोगः- ॐ अस्य श्रीआपदुद्धारण-बटुकभैरवमन्त्रस्य बृहदारण्यक ऋषिः त्रिष्टुप् छन्दः श्रीबटुकभैरवो देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्तिः भैरवः कीलकं मम् धर्मार्थ-काम-मोक्षार्थं श्रीबटुकभैरव प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः । ऋष्यादि-न्यासः- बृहदारण्यक ऋषये नमः शिरसि, त्रिष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीबटुकभैरवो देवतायै नमः हृदये, ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये, स्वाहा शक्तये नमः पादयो, भैरवः कीलकाय नमः नाभौ, मम् धर्मार्थ-काम-मोक्षार्थं श्रीबटुकभैरव प्रीत्यर्थं जपे विनियोगाय… Read More


कामाख्या देवी – मन्त्रः- “ॐ कामरु देश कामाख्या देवी, तहाँ बैठा इस्माइल जोगी । इस्माइल जोगी दिए चार पान । एक पान सों राती माती । दूजे पान सों विरह सँजोती । तीजे पान सों अंग मरोड़े । चौथे पान सों दोऊ कर जोड़े । चारों पान जो मेरे खाय, मेरे पास से कहूँ न… Read More


श्री विश्वावसु गन्धर्व-राज कवच स्तोत्रम् प्रणाम-मन्त्रः- ॐ श्रीगणेशाय नमः ।। ॐ श्रीगणेशाय नमः ।। ॐ श्रीगणेशाय नमः ।। ॐ श्रीसप्त-श्रृंग-निवासिन्यै नमः ।। ॐ श्रीसप्त-श्रृंग-निवासिन्यै नमः ।। ॐ श्रीसप्त-श्रृंग-निवासिन्यै नमः ।। ॐ श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राजाय कन्याभिः परिवारिताय नमः ।। ॐ श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राजाय कन्याभिः परिवारिताय नमः ।। ॐ श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राजाय कन्याभिः परिवारिताय नमः ।। ।। पूर्व-पीठिका ।। ॐ नमस्कृत्य महा-देवं, सर्वज्ञं… Read More


गन्धर्व-राज विश्वावसु गन्धर्व-राज विश्वावसु की पूजा पद्धति गन्धर्व-राज विश्वावसु की उपासना मुख्यतः ‘वशीकरण’ और ‘विवाह’ के लिये की जाती है। स्त्री-वशीकरण और विवाह के लिये इनके प्रयोग अमोघ है। मन्त्र- “ॐ विश्वावसु-गन्धर्व-राज-कन्या-सहस्त्रमावृत, ममाभिलाषितां अमुकीं कन्यां प्रयच्छ स्वाहा।” विनियोग- ॐ अस्य श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राज-मन्त्रस्य श्रीरुद्र-ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीविश्वावसु-गन्धर्व-राजः देवता, ह्रीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, विश्वावसु-गन्धर्व-राज प्रीति-पूर्वक ममाभिलाषितां अमुकीं कन्यां… Read More


क्यों हुआ श्रीगणेश का शिरश्छेदन ? श्रीगणेश ग्रहाधिराज श्रीकृष्ण के अंश से पार्वतीनन्दन के रुप में अवतरित हुए थे, फिर भी उनका शिरश्छेदन श्रीकृष्ण-भक्त शनि की दृष्टि से कैसे हो गया ? इस सम्बन्ध में ब्रह्म-वैवर्त्त-पुराण के गणपति-खण्ड के १८वें अध्याय में एक कथा है – सूर्यदेव ने भगवान् शिव के भक्त शिवमाली और सुमाली… Read More


श्रीबटुक-भैरव-साधना विनियोगः- ॐ अस्य श्रीबटुक-भैरव-त्रिंशदक्षर-मन्त्रस्य श्रीकालाग्नि-रुद्र ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीआपदुद्धारक देव बटुकेश्वर देवता, ‘ह्रीं’ बीजं, भैरवी-वल्लभ शक्तिः, दण्ड-पाणि कीलकं, मम समस्त-शत्रु-दमने, समस्तापन्निवारणे, सर्वाभीष्ट-प्रदाने वा जपे विनियोगः । ऋष्यादि-न्यासः- श्रीकालाग्नि-रुद्र ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीआपदुद्धारक देव बटुकेश्वर देवतायै नमः हृदि, ‘ह्रीं’ बीजाय नमः गुह्ये, भैरवी-वल्लभ शक्तये नमः नाभौ, दण्ड-पाणि कीलकाय नमः पादयो, मम… Read More


आपदुद्धारक श्रीबटुक-भैरव-अष्टोत्तर-शत-नामावली के प्रयोग “भैरव-तन्त्र” के अनुसार आपदुद्धारक श्रीबटुक-भैरव-अष्टोत्तर-शत-नामावली के कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं – १॰ रात्रि में तीन मास तक प्रति-दिन ३८ पाठ करने से (कुल ११४० पाठ) विद्या और धन की प्राप्ति होती है। २॰ तीन मास तक रात्रि में नौ अथवा बारह पाठ प्रति-दिन करने से ‘इष्ट-सिद्धि’ प्राप्त होती है ।… Read More