शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 43 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 43 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता तैंतालीसवाँ अध्याय ज्ञानका निरूपण तथा शिवपुराणकी कोटिरुद्रसंहिताके श्रवणादिका माहात्म्य सूतजी बोले- हे ऋषियो ! अत्यन्त गोपनीय तथा परममुक्तिस्वरूप शिवज्ञानको जैसा मैंने सुना है, वैसा ही कहता हूँ, आप सभी लोग सुनिये ॥ १ ॥ ब्रह्मा, नारद, सनत्कुमार, व्यास एवं… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 42 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 42 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता बयालीसवाँ अध्याय भगवान् शिवके सगुण और निर्गुण स्वरूपका वर्णन ऋषिगण बोले— [हे सूतजी ! ] शिवजी कौन हैं, विष्णु कौन हैं, रुद्र कौन हैं तथा ब्रह्मा कौन हैं और इनमें निर्गुण कौन है ? हमलोगोंके इस संशयको दूर कीजिये… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 41 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 41 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता इकतालीसवाँ अध्याय ब्रह्म एवं मोक्षका निरूपण ऋषिगण बोले – [ हे सूतजी ! ] आपने मुक्तिकी चर्चा की, उस मुक्तिमें क्या होता है और उसकी कैसी अवस्था होती है ? हमलोगोंको यह बताइये ॥ १ ॥ सूतजी बोले- सुनिये,… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 40 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 40 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता चालीसवाँ अध्याय शिवरात्रिव्रतमाहात्म्यके प्रसंगमें व्याध एवं मृगपरिवारकी कथा तथा व्याधेश्वरलिंगका माहात्म्य ऋषिगण बोले- हे सूत ! आपकी वाणीको सुनकर हमलोग अत्यन्त आनन्दित हुए। आप उसी उत्तम व्रतको प्रीतिसे विस्तारपूर्वक कहिये ॥ १ ॥ हे सूत! यहाँपर इस उत्तम व्रतको… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 39 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 39 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता उनतालीसवाँ अध्याय शिवरात्रिव्रतकी उद्यापन विधिका वर्णन ऋषिगण बोले – [ हे सूत ! ] अब आप शिवरात्रिव्रतके उद्यापनका विधान कहिये, जिसके करनेसे साक्षात् शंकरजी निश्चित रूपसे प्रसन्न होते हैं ॥ १ ॥ सूतजी बोले- हे ऋषियो ! आपलोग उसके… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 38 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 38 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता अड़तीसवाँ अध्याय भगवान् शिवके विविध व्रतोंमें शिवरात्रिव्रतका वैशिष्ट्य ऋषि बोले— हे तात! आप धन्य हैं । कृतकृत्य हैं और आपका जीवन सफल है जो आप हमलोगोंको महेश्वरकी कल्याणकारी कथा सुना रहे हैं ॥ १ ॥ हे सूतजी! यद्यपि हमलोगोंने… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 37 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 37 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता सैंतीसवाँ अध्याय शिवकी पूजा करनेवाले विविध देवताओं, ऋषियों एवं राजाओंका वर्णन ऋषिगण बोले- हे महाभाग सूत ! हे सुव्रत ! आप ज्ञानी हैं, आप शिवजीके चरित्रका ही विस्तारपूर्वक पुनः वर्णन करें। पुरातन ऋषियों, देवताओं एवं राजाओंने उन देवाधिदेव शिवकी… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 36 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 36 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता छत्तीसवाँ अध्याय शिवसहस्त्रनामस्तोत्रकी फल- श्रुति सूतजी बोले- विष्णुजीके द्वारा किये गये अपने उत्कृष्ट सहस्रनामस्तवनको सुनकर शिवजी प्रसन्न हो गये। उस समय जगत् के स्वामी महेश्वरने विष्णुकी परीक्षाके लिये उन कमलोंमेंसे एक कमलको छिपा लिया ॥ १-२ ॥ तब शिवपूजनमें… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 35 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 35 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता पैंतीसवाँ अध्याय विष्णुप्रोक्त शिवसहस्त्रनामस्तोत्र * सूतजी बोले- हे मुनिवरो ! आपलोग सुनें, जिससे महेश्वर सन्तुष्ट हुए थे, उस शिवसहस्रनामस्तोत्रको मैं कह रहा हूँ ॥ १ ॥ भगवान् विष्णुने कहा – १. शिवः- कल्याण-स्वरूप, २. हरः – भक्तोंके पाप-ताप हर… Read More
शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 34 शिवमहापुराण — कोटिरुद्रसंहिता — अध्याय 34 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण कोटिरुद्रसंहिता चौंतीसवाँ अध्याय हरीश्वरलिंगका माहात्म्य और भगवान् विष्णुके सुदर्शनचक्र प्राप्त करनेकी कथा व्यासजी बोले- उन सूतजीका यह वचन सुनकर सभी मुनीश्वरोंने उनकी प्रशंसा करके लोकहितकी कामनासे कहा – ॥ १ ॥ ऋषिगण बोले- हे सूतजी ! आप सब कुछ जानते… Read More