ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 33 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 33 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तैंतीसवाँ अध्याय ब्रह्माजी का मोहिनी के शाप से अपूज्य होना, इस शाप के निवारण के लिये उनका वैकुण्ठधाम में जाना और वहाँ अन्यान्य ब्रह्माओं के दर्शन से उनके अभिमान का दूर होना श्रीकृष्ण बोले — बहुत समय तक मोहिनी का प्रयास चलता रहा;… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 32 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 32 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ बतीसवाँ अध्याय ब्रह्मा-मोहिनी संवाद, ब्रह्मा-कृत-श्रीकृष्ण स्तोत्र श्रीकृष्ण बोले — मोहिनी की स्तुति से कामदेव प्रसन्न हो गये । उसने स्वयं आकाश में स्थित होकर धनुष पर बाण चढ़ाया और उस महास्त्र को मन्त्रपूत करके पिता (ब्रह्मा) के ऊपर छोड़ दिया । काम के… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 31 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 31 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ इकतीसवाँ अध्याय ब्रह्माजी का राजा सुचन्द्र को वर देना, राजा का गोलोक जाना, ब्रह्माजी को देखकर मोहिनी का काम-मुग्ध होना, मोहिनी कृत कामदेव स्तोत्र तदनन्तर श्रीराधिका ने पूछा — श्यामसुन्दर ! ब्रह्माजी को क्यों और किससे शाप प्राप्त हुआ था ? श्रीकृष्ण बोले… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 30 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 30 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ तीसवाँ अध्याय भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा अष्टावक्र (देवल) – के शव का संस्कार तथा उनके गूढ़ चरित्र का परिचय नारदजी ने पूछा — ब्रह्मन् ! ( नारायणदेव ! ) उन महामुनि का कौन-सा अद्भुत रहस्य सुना गया ? मुनि अष्टावक्रके देह त्याग के पश्चात्… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 29 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 29 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ उनतीसवाँ अध्याय श्रीराधा के साथ श्रीकृष्ण का वन-विहार, वहाँ अष्टावक्रमुनि के द्वारा उनकी स्तुति तथा मुनि का शरीर त्याग कर भगवच्चरणों में लीन होना भगवान् नारायण कहते हैं — नारद । तदनन्तर प्रेम-विह्वला गोपियों के साथ भगवान् श्रीकृष्ण ने विविध भाँति से रास-क्रीड़ा… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 28 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 28 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ अठ्ठाईसवाँ अध्याय श्रीकृष्ण के रास-विलास का वर्णन नारदजी ने पूछा — भगवन् ! तीन मास व्यतीत होने पर उन गोपाङ्गनाओं का श्रीहरि के साथ किस प्रकार मिलन हुआ ? वृन्दावन कैसा है ? रासमण्डल का क्या स्वरूप है ? श्रीकृष्ण तो एक थे… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 27 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 27 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ सत्ताईसवाँ अध्याय गोप-किशोरियों द्वारा गौरी व्रत का पालन, दुर्गा स्तोत्र और उसकी महिमा, समाप्ति के दिन गोपियों को नग्न स्नान करती जान श्रीकृष्ण द्वारा उनके वस्त्र आदि का अपहरण,श्रीराधा की प्रार्थना से भगवान् का सब वस्तुएँ लौटा देना, व्रत का विधान, दुर्गा का… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 26 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 26 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ छब्बीसवाँ अध्याय एकादशी व्रत का माहात्म्य, इसे न करने से हानि, व्रत के सम्बन्ध में आवश्यक निर्णय, व्रत का विधान—छः देवताओं का पूजन, श्रीकृष्ण का ध्यान और षोडशोपचार- पूजन तथा कर्म में न्यूनता की पूर्ति के लिये भगवान् से प्रार्थना तदनन्तर नारदजी के… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 25 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 25 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ पच्चीसवाँ अध्याय महर्षि और्व द्वारा दुर्वासा को शाप, दुर्वासा का अम्बरीष के यहाँ द्वादशी के दिन पारणा के समय पहुँचकर भोजन माँगना, वसिष्ठजी की आज्ञा से अम्बरीष का पारणा की पूर्ति के लिये भगवान् का चरणोदक पीना, दुर्वासा का राजा को मारने के… Read More
ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 24 ब्रह्मवैवर्तपुराण-श्रीकृष्णजन्मखण्ड-अध्याय 24 ॥ ॐ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ ॐ श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ॥ चौबीसवाँ अध्याय दुर्वासा का और्वकन्या कन्दली से विवाह, उसकी कटूक्तियों से कुपित हो मुनि का उसे भस्म कर देना, फिर शोक से देह त्याग के लिये उद्यत मुनि को विप्ररूपधारी श्रीहरि का समझाना, उन्हें एकानंशा को पत्नी बनाने के लिये कहना, कन्दली का… Read More