श्री मार्कण्डेय-प्रोक्त लघु-दुर्गा-सप्तशती ॐ वींवींवीं वेणुहस्ते स्तुतिविधवटुके हां तथा तानमाता, स्वानंदेमंदरुपे अविहतनिरुते भक्तिदे मुक्तिदे त्वम् । हंसः सोहं विशाले वलयगतिहसे सिद्धिदे वाममार्गे, ह्रीं ह्रीं ह्रीं सिद्धलोके कष कष विपुले वीरभद्रे नमस्ते ।। १ ।।… Read More


दारिद्र्य-दहन-विधि 1. विनियोगः- ॐ अस्य श्रीकनक-धारा-स्तोत्र-मन्त्रस्य भगवान् शंकर ऋषिः, जगती छन्दः, श्री महा-लक्ष्मी-भुवनेश्वरी देवता, श्रीं वीजं, ह्रीं शक्तिः, ऐं कीलकं, मम समस्त-दारिद्र-दुखः-निवारण-पूर्वक धनाकर्षण-पाठे विनियोगः । 2. ऋष्यादि-न्यासः- भगवान् शंकर ऋषये नमः शिरसि, जगती छन्दसे नमः मुखे, श्री महा-लक्ष्मी-भुवनेश्वरी देवतायै नमः हृदि, श्रीं वीजाय नमः गुह्ये, ह्रीं शक्तये नमः पादयो, ऐं कीलकाय नमः नाभौ, मम समस्त-दारिद्र-दुखः-निवारण-पूर्वक… Read More


सरस्वती महा-स्तोत्र प्रस्तुत ‘सरस्वती महा-स्तोत्र’ का एक वर्ष तक पाठ करने से मूर्ख व्यक्ति की भी मूर्खता दूर हो जाती है । नित्य-पाठ करने से पाठ-कर्त्ता मेधावी हो जाता है । यह महर्षि याज्ञवल्क्य का अनुभूत प्रयोग है । ॥ याज्ञवल्क्य कृत सकल-कामना-दायक सरस्वती स्तोत्रम् ॥ ॥ याज्ञवल्क्य उवाच ॥ कृपां कुरु जगन्मातर्मामेवं हततेजसम् ।… Read More


सर्व-यंत्र-मन्त्र-तंत्रोत्कीलन-स्तोत्र ।। पार्वत्युवाच ।। देवेश परमानन्द, भक्तानाम भयं प्रद ! आगमाः निगमाश्चैव, बीजं बीजोदयस्तथा ।।१।। समुदायेन बीजानां, मन्त्रो मंत्रस्य संहिता । ऋषिच्छन्दादिकं भेदो, वैदिकं यामलादिकम् ।।२।। धर्मोऽधर्मस्तथा ज्ञानं, विज्ञानं च विकल्पन । निर्विकल्प-विभागेन, तथा षट्-कर्म-सिद्धये ।।३।। भुक्ति-मुक्ति-प्रकारश्च, सर्वं प्राप्तं प्रसादतः । कीलनं सर्व-मन्त्राणां, शंसयद् हृदये वचः ।।४।। इति श्रुत्वा शिवा-नाथः, पार्वत्या वचनं शुभम् । उवाच… Read More


।। नारायणास्त्रम् ।। हरिः ॐ नमो भगवते श्रीनारायणाय नमो नारायणाय विश्वमूर्तये नमः श्री पुरुषोत्तमाय पुष्पदृष्टिं प्रत्यक्षं वा परोक्षं अजीर्णं पञ्चविषूचिकां हन हन ऐकाहिकं द्वयाहिकं त्र्याहिकं चातुर्थिकं ज्वरं नाशय नाशय चतुरशितिवातानष्टादशकुष्ठान् अष्टादशक्षय रोगान् हन हन सर्वदोषान् भंजय भंजय तत्सर्वं नाशय नाशय आकर्षय आकर्षय शत्रून् शत्रून् मारय मारय उच्चाटयोच्चाटय विद्वेषय विदे्वेषय स्तंभय स्तंभय निवारय निवारय विघ्नैर्हन विघ्नैर्हन… Read More


।। नारायण हृदयम् ।। भगवान् लक्ष्मी-नारायण की प्रसन्नता के लिए “लक्ष्मी-हृदय” के साथ इसका पाठ करने से धन-धान्य व ऐश्वर्य की वृद्धि होती है । आचम्य प्राणानायम्य देशकालौ स्मृत्वा। अस्मद्गुर्वन्तर्गत – श्रीभारतीरमणमुख्यप्राणान्तर्गत – श्रीलक्ष्मीनारायणप्रेरणया श्रीलक्ष्मीनारायणप्रीत्यर्थं ममाभीष्टसिद्ध्यर्थं सङ्कलीकरणरीत्या सम्पुटीकरणरीत्या वा नारायणहृदयस्य सकृदावर्तनं करिष्ये ।… Read More


परशुराम-कृत श्रीदुर्गा-स्तोत्र ।। परशुराम उवाच ।। श्रीकृष्णस्य च गो-लोके-परिपूर्णतमस्य चः । आविर्भूता विग्रहतः, परा सृष्ट्युन्मुखस्य च ।। सूर्य-कोटि-प्रभा-युक्ता, वस्त्रालंकार-भूषिता । वह्नि-शुद्धांशुकाधाना सुस्मिता, सुमनोहरा ।। नव-यौवन-सम्पन्ना सिन्दूर-विन्दु-शोभिता । ललितं कबरीभारं मालती-माल्य-मण्डितम् ।। अहोऽनिर्वचनीया त्वं, चारुमूर्ति च बिभ्रती । मोक्षप्रदा मुमुक्षूणां, महाविष्णोर्विधिः स्वयम् ।। मुमोह क्षणमात्रेण दृष्ट्वा, त्वां सर्वमोहिनीम् । बालैः सम्भूय सहसा, सस्मिता धाविता पुरा ।।… Read More


ऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र विनियोगः- ॐ अस्य श्रीऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र-मन्त्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः, ऋण-मोचन-गणपतिः देवता, मम-ऋण-मोचनार्थं जपे विनियोगः। ऋष्यादि-न्यासः- भगवान् शुक्राचार्य ऋषये नमः शिरसि, ऋण-मोचन-गणपति देवतायै नमः हृदि, मम-ऋण-मोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।… Read More


ऋण-हरण श्री गणेश-मन्त्र प्रयोग यह धन-दायी प्रयोग है। यदि प्रयोग नियमित करना हो तो साधक अपने द्वारा निर्धारित वस्त्र में कर सकता है किन्तु, यदि प्रयोग पर्व विशेष मात्र में करना हो, तो पीले रंग के आसन पर पीले वस्त्र धारण कर पीले रंग की माला या पीले सूत में बनी स्फटिक की माला से… Read More


श्रीललिता-महा-लक्ष्म्याः स्तोत्रम् वैष्णव-सम्प्रदाय के प्रसिद्ध ग्रन्थ “लक्ष्मी-नारायण-संहिता” से उद्धृत निम्न स्तोत्र शक्ति-साधना से सम्बन्धित है । वैष्णव ग्रन्थ होने के कारण इनकी साधना-प्रणाली ‘वैष्णवाचार’-परक है ।… Read More