श्रीनाथजी बालाष्टक

ॐ गुरुजी । प्रथमं सुमिरण गुरुजी का करलो हृदय में ज्ञान प्रकाशितं, श्री आदि योग युगादि ब्रह्म सवेते शिव शंकर, श्री बाले गोरक्ष चरण नमाम्यहम् । जियो जति गोरक्ष चरण प्रणाम्यहम् ।

ॐ गुरुजी । बालयति गुरु ब्रह्मज्ञानी घट ही में ज्योति प्रकाशितम् ।
उदत भानु हसंत कमला, श्री बाले गोरक्ष चरणं प्रणाम्यहम् ।। १ ।।
ॐ गुरुजी । रहत निशदिन अगम अगोचर सिद्ध ज्ञान प्रकाशितम् ।
श्री जपत सुरनर देव मुनिजन, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। २ ।।
ॐ गुरुजी । आकाश धूना, पाताल मंडल पवन संगम सायरा ।
श्री जनम अयोनिजिका स्मरण करलो, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ३ ।।
ॐ गुरुजी । आदि अन्त अनादि निर्भय रहत निशदिन उनमुना ।
श्री लख चौरासी जिया जुनिजिका नाम रखलो, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ४ ।।
ॐ गुरुजी । जल तो अम्बर थल तो सायर, सोहत गले कण्ठ मेखला ।
कानो में कुण्डल विभुति आभरण, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ५ ।।
ॐ गुरुजी । एक ज्योति गुरु सकल व्यापी, कोटि कुञ्जर प्राकरम् ।
श्री मदनमोहनजी का मान रखलो, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ६ ।।
ॐ गुरुजी । आबू का मण्डल द्वारका क्षैत्र गोरक्षमढ़ी संस्थान है ।
माधो प्राची में श्रीनाथजी ने रुक्मणीजी को कंकण बांध्यो, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ७ ।।
ॐ गुरुजी । इतना श्रीनाथजी का बाला जो अष्टक पढ़त निशदिन ।
प्रातःकाल कैलाशवास सदा फलम् श्रीदेव कृष्ण, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ८ ।।
जय श्रीनाथजी के चरणं नमाम्यहम् । जीवो जति गोरक्ष चरणं प्रणाम्यहम् ।।

ॐ गोरक्ष गदोपालं घड़ी के रक्ष पालं । वृद्धं न बालं जीते जम कालं ।
प्रातःकाल मंगल श्रृंगार आरती धूप स्नान को सिद्ध गुरुवरो आदेश आदेश ।।

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