September 7, 2015 | aspundir | Leave a comment श्रीनाथजी बालाष्टक ॐ गुरुजी । प्रथमं सुमिरण गुरुजी का करलो हृदय में ज्ञान प्रकाशितं, श्री आदि योग युगादि ब्रह्म सवेते शिव शंकर, श्री बाले गोरक्ष चरण नमाम्यहम् । जियो जति गोरक्ष चरण प्रणाम्यहम् । ॐ गुरुजी । बालयति गुरु ब्रह्मज्ञानी घट ही में ज्योति प्रकाशितम् । उदत भानु हसंत कमला, श्री बाले गोरक्ष चरणं प्रणाम्यहम् ।। १ ।। ॐ गुरुजी । रहत निशदिन अगम अगोचर सिद्ध ज्ञान प्रकाशितम् । श्री जपत सुरनर देव मुनिजन, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। २ ।। ॐ गुरुजी । आकाश धूना, पाताल मंडल पवन संगम सायरा । श्री जनम अयोनिजिका स्मरण करलो, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ३ ।। ॐ गुरुजी । आदि अन्त अनादि निर्भय रहत निशदिन उनमुना । श्री लख चौरासी जिया जुनिजिका नाम रखलो, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ४ ।। ॐ गुरुजी । जल तो अम्बर थल तो सायर, सोहत गले कण्ठ मेखला । कानो में कुण्डल विभुति आभरण, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ५ ।। ॐ गुरुजी । एक ज्योति गुरु सकल व्यापी, कोटि कुञ्जर प्राकरम् । श्री मदनमोहनजी का मान रखलो, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ६ ।। ॐ गुरुजी । आबू का मण्डल द्वारका क्षैत्र गोरक्षमढ़ी संस्थान है । माधो प्राची में श्रीनाथजी ने रुक्मणीजी को कंकण बांध्यो, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ७ ।। ॐ गुरुजी । इतना श्रीनाथजी का बाला जो अष्टक पढ़त निशदिन । प्रातःकाल कैलाशवास सदा फलम् श्रीदेव कृष्ण, श्री बाले चरणं नमाम्यहम् ।। ८ ।। जय श्रीनाथजी के चरणं नमाम्यहम् । जीवो जति गोरक्ष चरणं प्रणाम्यहम् ।। ॐ गोरक्ष गदोपालं घड़ी के रक्ष पालं । वृद्धं न बालं जीते जम कालं । प्रातःकाल मंगल श्रृंगार आरती धूप स्नान को सिद्ध गुरुवरो आदेश आदेश ।। Related