September 23, 2024 | aspundir | Leave a comment शिवमहापुराण – शतरुद्रसंहिता – अध्याय 17 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ॥ श्रीसाम्बसदाशिवाय नमः ॥ श्रीशिवमहापुराण शतरुद्रसंहिता सत्रहवाँ अध्याय भगवान् शिवके महाकाल आदि प्रमुख दस अवतारोंका वर्णन नन्दीश्वर बोले – [ हे सनत्कुमार!] अब आप उपासनाकाण्डद्वारा सेवित महेश्वरके सर्वप्रथम होने- वाले महाकाल आदि दस प्रमुख अवतारोंको भक्तिपूर्वक सुनिये ॥ १ ॥ उनमें प्रथम महाकाल नामक अवतार है, जो सज्जनोंको भोग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है। [इस अवतारमें] उनकी शक्ति महाकाली हैं, जो भक्तोंको अभीष्ट फल प्रदान करती हैं ॥ २ ॥ दूसरा अवतार तार नामसे विख्यात है, जिनकी शक्ति तारा हैं। ये दोनों ही अपने भक्तोंको सुख प्रदान करनेवाले एवं भोग तथा मोक्ष देनेवाले हैं ॥ ३ ॥ तीसरा अवतार बाल भुवनेश्वरके नामसे पुकारा जाता है। उनकी शक्ति बाला भुवनेश्वरी कही जाती हैं, ये सत्पुरुषोंको सुख प्रदान करती हैं। चौथा अवतार षोडश नामक विद्येशके रूपमें हुआ है । षोडशी श्रीविद्या उनकी महाशक्ति हैं । यह अवतार भक्तोंको सुख प्रदान करनेवाला तथा भोग एवं मोक्ष देनेवाला है ॥ ४-५ ॥ महानन्दमनन्तलीलं महेश्वरं सर्वविभुं महान्तम् ।गौरीप्रियं कार्तिकविघ्नराज-समुद्भवं शङ्करमादिदेवम् ॥ पाँचवाँ अवतार भैरव नामसे प्रसिद्ध है, जो भक्तोंकी कामनाओंको निरन्तर पूर्ण करनेवाला है । इनकी महाशक्ति गिरिजा भैरवी नामसे प्रसिद्ध हैं, जो सज्जनों एवं उपासकोंकी कामनाएँ पूर्ण करती हैं ॥ ६ ॥ शिवका छठा अवतार छिन्नमस्तक नामक कहा गया है और उनकी महाशक्ति छिन्नमस्तका गिरिजा हैं, जो अपने भक्तोंका मनोरथ पूर्ण करनेवाली हैं ॥ ७ ॥ शिवके सातवें अवतारका नाम धूमवान् है, जो सम्पूर्ण कामनाओंका फल प्रदान करनेवाला है। उनकी शक्ति धूमावती हैं, जो सज्जन उपासकोंको फल देनेवाली हैं ॥ ८ ॥ शिवजीका आठवाँ अवतार बगलामुख है, जो सुख देनेवाला है। उनकी शक्ति बगलामुखी कही गयी हैं, जो परम आनन्दस्वरूपिणी हैं ॥ ९ ॥ शिवजीका नौवाँ अवतार मातंग नामसे विख्यात है और उनकी शक्ति मातंगी हैं, जो [ अपने भक्तोंकी ] समस्त कामनाओंका फल प्रदान करती हैं ॥ १० ॥ शिवजीका कल्याणकारी दसवाँ अवतार कमल नामवाला है, जो भोग और मोक्ष देनेवाला है। उनकी शक्ति पार्वतीका नाम कमला है, जो भक्तोंका पालन करती हैं ॥ ११ ॥ शिवजीके ये दस अवतार हैं, जो सज्जनों एवं भक्तोंको सर्वदा सुख देनेवाले तथा उन्हें भुक्ति एवं मुक्ति प्रदान करनेवाले हैं ॥ १२ ॥ महात्मा शिवके ये दसों अवतार निर्विकार रूपसे सेवा करनेवालोंको निरन्तर सभी प्रकारके सुख देते रहते हैं । हे मुने! मैंने शंकरजीके इन दसों अवतारोंके माहात्म्यका वर्णन किया है, इस माहात्म्यको सम्पूर्ण कामनाओंको देनेवाला कहा गया है तथा यह तन्त्रशास्त्रों में निगूढ़ है, ऐसा जानना चाहिये ॥ १३-१४ ॥ हे मुने! इन [ अवतारोंकी] आदि शक्तियोंकी महिमा भी अद्भुत है। इसे सभी कामनाओंको प्रदान करनेवाली तथा तन्त्रशास्त्र आदिमें गोपित जानना चाहिये । ये शक्तियाँ दुष्टोंको दण्ड देनेवाली तथा ब्रह्मतेजका विवर्धन करनेवाली हैं और शत्रुनिग्रह आदि कार्यके लिये सर्वश्रेष्ठ कही गयी हैं ॥ १५-१६ ॥ हे ब्रह्मन्! इस प्रकार मैंने शक्तियोंसहित शिवजीके महाकालादि प्रमुख शुभ दस अवतारोंका वर्णन किया ॥ १७ ॥ जो भक्तिमें तत्पर होकर सभी शैव पर्वोंमें शिवके इस निर्मल इतिहासको पढ़ता है, वह शिवका अत्यन्त प्रिय हो जाता है; ब्राह्मण ब्रह्मतेजसे युक्त तथा क्षत्रिय विजयी हो जाता है, वैश्य धनाधिपति हो जाता है एवं शूद्र सुख प्राप्त करता है ॥ १८-१९ ॥ अपने धर्ममें स्थित होकर इस चरित्रको सुननेवाले शिवभक्त सुखी हो जाते हैं और वे विशेषरूपसे शिवके भक्त हो जाते हैं ॥ २० ॥ ॥ इस प्रकार श्रीशिवमहापुराणके अन्तर्गत तृतीय शतरुद्रसंहितामें शिवदशावतार-वर्णन नामक सत्रहवाँ अध्याय पूर्ण हुआ ॥ १७ ॥ Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. Type your email… Subscribe