July 31, 2015 | aspundir | Leave a comment कुंजिका स्तोत्र’ और ‘बीसा यन्त्र’ का अनुभूत अनुष्ठान प्राण-प्रतिष्ठा करने के पर्व चन्द्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, दीपावली के तीन दिन (धन तेरस, चर्तुदशी, अमावस्या), रवि-पुष्य योग, रवि-मूल योग तथा महानवमी के दिन ‘रजत-यन्त्र’ की प्राण प्रतिष्ठा, पूजादि विधान करें। इनमे से जो समय आपको मिले, साधना प्रारम्भ करें। 41 दिन तक विधि-पूर्वक पूजादि करने से सिद्धि होती है। 42 वें दिन नहा-धोकर अष्टगन्ध (चन्दन, अगर, केशर, कुंकुम, गोरोचन, शिलारस, जटामांसी तथा कपूर) से स्वच्छ 41 यन्त्र बनाएँ। पहला यन्त्र अपने गले में धारण करें। बाकी आवश्यकतानुसार बाँट दें। प्राण-प्रतिष्ठा विधि सर्व-प्रथम किसी स्वर्णकार से 15 ग्राम का तीन इंच का चौकोर चाँदी का पत्र (यन्त्र) बनवाएँ। अनुष्ठान प्रारम्भ करने के दिन ब्राह्म-मुहूर्त्त में उठकर, स्नान करके सफेद धोती-कुरता पहनें। कुशा का आसन बिछाकर उसके ऊपर मृग-छाला बिछाएँ। यदि मृग छाला न मिले, तो कम्बल बिछाएँ, उसके ऊपर पूर्व को मुख कर बैठ जाएँ। अपने सामने लकड़ी का पाटा रखें। पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक थाली (स्टील की नहीं) रखें। थाली में पहले से बनवाए हुए चौकोर रजत-पत्र को रखें। रजत-पत्र पर अष्ट-गन्ध की स्याही से अनार या बिल्व-वृक्ष की टहनी की लेखनी के द्वारा ‘यन्त्र लिखें। पहले यन्त्र की रेखाएँ बनाएँ। रेखाएँ बनाकर बीच में ॐ लिखें। फिर मध्य में क्रमानुसार 7, 2, 3 व 8 लिखें। इसके बाद पहले खाने में 1, दूसरे में 9, तीसरे में 10, चौथे में 14, छठे में 6, सावें में 5, आठवें में 11 नवें में 4 लिखें। फिर यन्त्र के ऊपरी भाग पर ‘ॐ ऐं ॐ’ लिखें। तब यन्त्र की निचली तरफ ‘ॐ क्लीं ॐ’ लिखें। यन्त्र के उत्तर तरफ ‘ॐ श्रीं ॐ’ तथा दक्षिण की तरफ ‘ॐ क्लीं ॐ’ लिखें। प्राण-प्रतिष्ठा अब ‘यन्त्र’ की प्राण-प्रतिष्ठा करें। यथा- बाँयाँ हाथ हृदय पर रखें और दाएँ हाथ में पुष्प लेकर उससे ‘यन्त्र’ को छुएँ और निम्न प्राण-प्रतिष्ठा मन्त्र को पढ़े – “ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽहं मम प्राणाः इह प्राणाः, ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽहं मम सर्व इन्द्रियाणि इह सर्व इन्द्रयाणि, ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽहं मम वाङ्-मनश्चक्षु-श्रोत्र जिह्वा घ्राण प्राण इहागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।” ‘यन्त्र’ पूजन इसके बाद ‘रजत-यन्त्र’ के नीचे थाली पर एक पुष्प आसन के रूप में रखकर ‘यन्त्र’ को साक्षात् भगवती चण्डी स्वरूप मानकर पाद्यादि उपचारों से उनकी पूजा करें। प्रत्येक उपचार के साथ ‘समर्पयामि चन्डी यन्त्रे नमः’ वाक्य का उच्चारण करें। यथा- 1. पाद्यं (जल) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 2. अर्घ्यं (जल) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 3. आचमनं (जल) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 4. गंगाजलं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 5. दुग्धं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 6. घृतं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 7. तरू-पुष्पं (शहद) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 8. इक्षु-क्षारं (चीनी) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 9. पंचामृतं (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 10. गन्धम् (चन्दन) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 11. अक्षतान् समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 12 पुष्प-माला समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 13. मिष्ठान्न-द्रव्यं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 14. धूपं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 15. दीपं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 16. पूगी फलं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 17 फलं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 18. दक्षिणा समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 19. आरतीं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। तदन्तर यन्त्र पर पुष्प चढ़ाकर निम्न मन्त्र बोलें- पुष्पे देवा प्रसीदन्ति, पुष्पे देवाश्च संस्थिताः।। अब ‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र’ का पाठ कर यन्त्र को जागृत करें। यथा- ।।शिव उवाच।। श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम् । येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत ।। न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम् । न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम् ।। कुंजिका पाठ मात्रेण, दुर्गा पाठ फलं लभेत् । अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम् ।। मारणं मोहनं वष्यं स्तम्भनोव्च्चाटनादिकम् । पाठ मात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम् ।। मन्त्र – ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।। नमस्ते रूद्र रूपायै, नमस्ते मधु-मर्दिनि। नमः कैटभ हारिण्यै, नमस्ते महिषार्दिनि।।1 नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि। जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।2 ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका। क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।3 चामुण्डा चण्डघाती च, यैकारी वरदायिनी। विच्चे नोऽभयदा नित्यं, नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।4 धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागेश्वरी तथा। क्रां क्रीं श्रीं में शुभं कुरू, ऐं ॐ ऐं रक्ष सर्वदा।।5 ॐॐॐ कार-रूपायै, ज्रां ज्रां ज्रम्भाल-नादिनी। क्रां क्रीं क्रूं कालिकादेवि ! शां शीं शूं में शुभं कुरू।।6 ह्रूं ह्रूं ह्रूंकार रूपिण्यै, ज्रं ज्रं ज्रम्भाल नादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे ! भवानि ते नमो नमः।।7 अं कं चं टं तं पं यं शं बिन्दुराविर्भव। आविर्भव हं सं लं क्षं मयि जाग्रय जाग्रय त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरू कुरू स्वाहा। पां पीं पूं पार्वती पूर्णा, खां खीं खूं खेचरी तथा।।8 म्लां म्लीं म्लूं दीव्यती पूर्णा, कुंजिकायै नमो नमः। सां सीं सप्तशती सिद्धिं, कुरूश्व जप-मात्रतः।।9 ।। फल श्रुति ।। इदं तु कुंजिका स्तोत्रं मन्त्र-जागर्ति हेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं, गोपितं रक्ष पार्वति।। यस्तु कुंजिकया देवि ! हीनां सप्तशती पठेत्। न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।। फिर यन्त्र की तीन बार प्रदक्षिणा करते हुए यह मन्त्र बोलें- यानि कानि च पापानि, जन्मान्तर-कृतानि च। तानि तानि प्रणश्यन्ति, प्रदक्षिणं पदे पदे।। प्रदक्षिणा करने के बाद यन्त्र को पुनः नमस्कार करते हुए यह मन्त्र पढ़े- एतस्यास्त्वं प्रसादन, सर्व मान्यो भविष्यसि। सर्व रूप मयी देवी, सर्वदेवीमयं जगत्।। अतोऽहं विश्वरूपां तां, नमामि परमेश्वरीम्।। अन्त में हाथ जोड़कर क्षमा-प्रार्थना करें। यथा- अपराध सहस्त्राणि, क्रियन्तेऽहर्निषं मया। दासोऽयमिति मां मत्वा, क्षमस्व परमेश्वरि।। आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि, क्षम्यतां परमेश्वरि।। मन्त्र-हीनं क्रिया-हीनं, भक्ति-हीनं सुरेश्वरि ! यत् पूजितम् मया देवि ! परिपूर्णं तदस्तु मे।। अपराध शतं कृत्वा, जगदम्बेति चोच्चरेत्। या गतिः समवाप्नोति, न तां ब्रह्मादयः सुराः।। सापराधोऽस्मि शरणं, प्राप्यस्त्वां जगदम्बिके ! इदानीमनुकम्प्योऽहं, यथेच्छसि तथा कुरू।। अज्ञानाद् विस्मृतेर्भ्रान्त्या, यन्न्यूनमधिकं कृतम्। तत् सर्वं क्षम्यतां देवि ! प्रसीद परमेश्वरि ! कामेश्वरि जगन्मातः, सच्चिदानन्द-विग्रहे ! गृहाणार्चामिमां प्रीत्या, प्रसीद परमेश्वरि ! गुह्याति-गुह्य-गोप्त्री त्वं, गुहाणास्मत् कृतं जपम्। सिद्धिर्भवतु मे देवि ! त्वत् प्रसादात् सुरेश्वरि।। Please follow and like us: Related Discover more from Vadicjagat Subscribe to get the latest posts sent to your email. 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