December 18, 2018 | aspundir | Leave a comment भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६४ ॐ श्रीपरमात्मने नमः श्रीगणेशाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भविष्यपुराण (ब्राह्मपर्व) अध्याय – १६४ सूर्यषष्ठी-व्रत की महिमा सुमन्तु मुनि बोले — राजन् ! अब आप भगवान् सूर्य को अत्यन्त प्रिय सूर्यषष्ठी व्रत के विषयमें सुनें । सूर्यषष्ठी-व्रत करनेवाले को जितेन्द्रिय एवं क्रोधरहित होकर अयाचित-व्रत का पालन करते हुए भगवान् सूर्य की पूजा में तत्पर रहना चाहिये । व्रत को अल्प और सात्त्विक-भोजी तथा रात्रि-भोजी होना चाहिये । स्नान एवं अग्निकार्य करते रहने चाहिये और अधःशायी होना चाहिये । मध्याह्न में देवताओं द्वारा, पूर्वाह्ण में ऋषियों द्वारा, अपराह्ण में पितरों द्वारा और संध्या में गुह्यकों किन्नर,गंधर्व,यक्ष आदि देवताओं की तरह की एक देव योनि जो कुबेर की संपत्ति आदि की रक्षा करती है। द्वारा भोजन किया जाता है । अतः इन सभी कालों का अतिक्रमणकर सूर्यव्रती के भोजन का समय रात्रि ही माना गया है । मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी से यह व्रत आरम्भ करना चाहिये । इस दिन भगवान् सूर्य की ‘अंशुमान्’ नामसे पूजा करनी चाहिये तथा रात्रि में गोमूत्र का प्राशनकर निराहार हो विश्राम करना चाहिये । ऐसा करनेवाला व्यक्ति अतिरात्र अतिरात्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. ज्योतिष्टोम नामक यज्ञ का एक गोण अंग । २. वह यज्ञ जो एक ही रात्रि में किया जाए । ३. चाक्षुष मनु के एक पुत्र का नाम । ४. मध्य रात्रि । यज्ञ का फल प्राप्त करता है । इसी प्रकार पौष में भगवान् सूर्य की ‘सहस्रांशु’ नाम से पूजा करे तथा घृत का प्राशन करे, इससे वाजपेय-यज्ञ वाजपेय नामक एक यज्ञ का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत के अनुसार यह वेदोक्त सात यज्ञों में से पाँचवाँ यज्ञ था, शरद ऋतु में किया जाता हैं। वाजपेय यज्ञ का उद्देश्य राजा की शारीरिक और आत्मिक शक्ति में वृद्धि करना और उसे नवयौवन प्रदान करना था। का फल प्राप्त होता है। माघ मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी को रात्रि में गोदुग्ध-पान करे । सूर्य की पूजा ‘दिवाकर’ नाम से करे, इससे महान् फल प्राप्त होता है । फाल्गुन मासमें ‘मार्तण्ड’ नाम से पूजाकर, गोदुग्ध का पान करने से अनन्त काल तक सूर्यलोक में प्रतिष्ठित होता हैं । चैत्र मास में भास्कर की विवस्वान्’ नाम से भक्तिपूर्वक पूजाकर हविष्य-भोजन करनेवाला सूर्यलोक में अप्सराओं के साथ आनन्द प्राप्त करता है । वैशाख मास में ‘चण्डकिरण’ नाम से सूर्य की पूजा करने से दस हजार वर्षों तक सूर्यलोक में आनन्द प्राप्त करता है । इसमें पयोव्रती गोरस व्रती दूध, दही दोनों खाता है। पयोव्रती ख़ाली दूध पीता है। दधिव्रती ख़ाली दधि खाता है, दूध नहीं। होकर रहना चाहिये । ज्येष्ठ मास में भगवान् भास्कर को ‘दिवस्पति’ नाम से पूजा कर गो-शृङ्ग का जल-पान करना चाहिये । ऐसा करने से कोटि गोदान का फल प्राप्त होता है । आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की षष्टी को ‘अर्क’ नाम से सूर्य की पूजाकर, गोमय का प्राशन करने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती हैं । श्रावण मास ‘अर्यमा’ नाम से सूर्य का पूजनकर दुग्ध-पान करे, ऐसा करनेवाला सूर्यलोक में दस हजार वर्षों तक आनन्दपूर्वक रहता है । भाद्रपद मास में ‘भास्कर’ नाम से सूर्य की पूजाकर पञ्चगव्य-प्राशन करे, इससे भी यज्ञों का फल प्राप्त होता है । आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठीमें ‘भग’ नाम से सूर्य की पूजा करे, इसमें एक पल गोमूत्र का प्राशन करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को ‘शक्र’ नाम से सूर्य की पूजाकर दुर्वाङ्कर का एक बार भोजन करने से राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है । वर्ष के अन्त में सूर्य-भक्तिपरायण ब्राह्मणों को मधुसंयुक्त पायस को भोजन कराये तथा यथाशक्ति स्वर्ण और वस्त्रादि समर्पित करे । भगवान् सूर्य के लिये काले रंग की दूध देने वाली गाय देनी चाहिये । जो इस व्रत का एक वर्षतक निरन्तर विधिपूर्वक सम्पादन करता है, वह सभी पापों से विनिर्मुक्त हो जाता है एवं सभी कामनाओं से पूर्ण होकर शाश्वत कालतक सूर्यलोक में आनन्दित रहता है । सुमन्तु मुनि बोले — राजन् ! इस कृष्ण-षष्ठी व्रत को भगवान् सूर्य ने अरुण से कहा था । यह व्रत सभी पापों का नाश करनेवाला है । भक्तिपूर्वक भगवान् भास्कर की पूजा करनेवाला मनुष्य अमित तेजस्वी भगवान् भास्कर के अमित स्थान को प्राप्त करता है । (अध्याय १६४) See Also :- 1. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १-२ 2. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय 3 3. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४ 4. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५ 5. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६ 6. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७ 7. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८-९ 8. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०-१५ 9. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६ 10. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १७ 11. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १८ 12. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १९ 13. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २० 14. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २१ 15. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २२ 16. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २३ 17. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २४ से २६ 18. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २७ 19. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २८ 20. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय २९ से ३० 21. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३१ 22. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३२ 23. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३३ 24. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३४ 25. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३५ 26. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३६ से ३८ 27. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ३९ 28. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४० से ४५ 29. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४६ 30. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४७ 31. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४८ 32. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ४९ 33. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५० से ५१ 34. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५२ से ५३ 35. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५४ 36. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५५ 37. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५६-५७ 38. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५८ 39. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ५९ से ६० 40. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६१ से ६३ 41. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६४ 42. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६५ 43. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६६ से ६७ 44. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६८ 45. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ६९ 46. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७० 47. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७१ 48. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७२ से ७३ 49. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७४ 50. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७५ से ७८ 51. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ७९ 52. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८० से ८१ 53. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८२ 54. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८३ से ८५ 55. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८६ से ८७ 56. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ८८ से ९० 57. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९१ से ९२ 58. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९३ 59. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९४ से ९५ 60. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९६ 61. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९७ 62. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ९८ से ९९ 63. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०० से १०१ 64. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०२ 65. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०३ 66. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०४ 67. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०५ से १०६ 68. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १०७ से १०९ 69. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११० से १११ 70. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११२ 71. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११३ से ११४ 72. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११३ से ११४ 73. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११६ 74. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११७ 75. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११८ 76. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय ११९ 77. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२० 78. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२१ से १२४ 79. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२५ से १२६ 80. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२७ से १२८ 81. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १२९ 82. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३० 83. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३१ 84. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३२ से १३३ 85. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३४ 86. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३५ 87. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३६ से १३७ 88. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३८ 89. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १३९ से १४१ 90. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४२ 91 भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४३ 92. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४४ 93. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४५ 94. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४६ से १४७ 95. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४८ 96. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १४९ 97. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १५० 98. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १५१ 99. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १५२ से १५६ 100. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १५७ से १५९ 101. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६० 102. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६१ से १६२ 103. भविष्यपुराण – ब्राह्म पर्व – अध्याय १६३ Related