सर्व रोग निवारक मन्त्र

विधिः- शनिवार को व्रत रख कर नियमपूर्वक रहकर एक माला उपरोक्त मंत्र की जपे। इसी प्रकार सात शनिवार तक करता रहे। ऐसा करने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है।
कंखाई अदीठ, कनफेरबद (एक प्रकार का चर्म रोग), कण्ठमाला, दाढ़ का दर्द इन्हें राख से झाड़ना चहिए। डमरु को, ताप तिल्ली को छुरी से झाड़ें उपर्युक्त सभी रोगों के लिए भभूति बना कर देना चाहिए।

मन्त्रः- ‘‘पर्वत ऊपर पर्वत और पर्वत कटिक शिला कटिक शिला पर अंजनी जिन पाया हनुमान नेहला टेहला काँख की कखाई पीछे की आदटी कान की कनफेट रांग की बद कण्ठ की कण्ठमाल घुटने का डमरु डाढ़ की डढ़शूल पेट की ताप तिल्ली फिया इतने को दूर करे भस्मन्त नातर तुझे माता अंजनी की दूध पिया हराम मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा सत्य नाम आदेश गुरू का।”

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