श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-018 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-018 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ अठारहवाँ अध्याय बालक विनायक के बालचरित के वर्णन-प्रसंग में एक दैत्य का ज्योतिषी बनकर काशिराज के दरबार में आना और विनायक द्वारा उसका वध अथः अष्टादशोऽध्यायः बालचरिते कपटि दैत्यवध व्यासजी बोले — हे लोकेश्वर ! दूसरा दिन हो जाने पर कौन-सी बात हुई, उसे मुझे बताइये, सुनते हुए भी मैं… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-017 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-017 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ सत्रहवाँ अध्याय काशिराज तथा गजाननभक्त मुनि भ्रूशुण्डी को विनायक द्वारा अपने यथार्थ स्वरूप का दर्शन कराना, विनायक के ‘आशापूरक’ नाम की प्रसिद्धि अथः सप्तदशोऽध्यायः बालचरित ब्रह्माजी बोले — सर्वज्ञ होने पर भी विनायकदेव ने मुनि भ्रूशुण्डी के आश्रम से वापस आये हुए नृपश्रेष्ठ काशिराज से मेघ के समान गम्भीर वाणी… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-016 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-016 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ सोलहवाँ अध्याय काशिराज का दण्डकारण्य में महर्षि भ्रूशुण्डी के आश्रम में गमन, काशिराज तथा गजानन के अनन्य भक्त भ्रूशुण्डी का वार्तालाप अथः षोडशोऽध्यायः बालचरिते नृपप्रत्यागमं ब्रह्माजी बोले — हे व्यासजी ! अब मैं आश्चर्यजनक कथा को सुनाता हूँ, आप श्रवण करें। इसका भक्तिपूर्वक श्रवण करने से मनुष्य अत्यन्त सुख प्राप्त… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-015 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-015 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ पन्द्रहवाँ अध्याय काशीनरेश द्वारा अपनी सभा में विनायक के अद्भुत कर्मों का वर्णन, ज्वालामुख, व्याघ्रमुख तथा दारुण नामक राक्षसों का काशीपुरी को दग्ध करना, बालक विनायक के द्वारा तीनों असुरों का वध तथा काशीपुरी को पूर्ववत् बना देना और राजा द्वारा विनायक की स्तुति अथः पञ्चदशोऽध्यायः बालचरिते नगरीमोक्षणं ब्रह्माजी बोले… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-014 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-014 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ चौदहवाँ अध्याय धर्मदत्त नामक ब्राह्मण का काशिराज के यहाँ आना और विनायक की स्तुति करना, विनायक का धर्मदत्त के साथ उनके घर को प्रस्थान, मार्ग में आये काम-क्रोध नामक राक्षसों का विनायक द्वारा वध, विनायक की बाललीला के प्रसंग में मदोन्मत्त हाथी का वध, धर्मदत्त द्वारा सिद्धि तथा बुद्धि नामक… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-013 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-013 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ तेरहवाँ अध्याय दूतों का अपने राजा नरान्तक से बालक विनायक के पराक्रम का वर्णन करना, काशिराजसहित बालक विनायक का काशीनगरी में प्रवेश, काशिवासियों को विविध रूपों में विनायक का दर्शन, बालक विनायक के वध की दृष्टि से वहाँ आये विघण्ट तथा दन्तुर आदि अनेक राक्षसों का वध, काशिराज द्वारा विनायक… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-012 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-012 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ बारहवाँ अध्याय काशीनरेश का मुनि कश्यप के आश्रम में आगमन और अपने पुत्र का विवाह सम्पादित करवाने की प्रार्थना करना, मुनि कश्यप द्वारा बालक विनायक को काशिराज के साथ भेजना, मार्ग में विनायक द्वारा धूम्राक्ष राक्षस का वध एवं उसके दोनों पुत्रों को उड़ाकर नरान्तक के पास भेजना, नरान्तक का… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-011 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-011 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ ग्यारहवाँ अध्याय महर्षि कश्यपजी द्वारा इन्द्र को बालक गणेश के अद्भुत कर्मों को बताना, इन्द्र की आज्ञा से वायु तथा अग्नि द्वारा बालक गणेश की परीक्षा, गणेश का विराट् रूप धारणकर इन्द्र को दिखाना, इन्द्र का भयभीत होकर उनकी स्तुति करना, इन्द्रकृत स्तुति का माहात्म्य अथः एकादशोऽध्यायः बालचरिते कश्यपजी बोले… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-010 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-010 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ दसवाँ अध्याय बालक गणेश द्वारा विघातादि राक्षसों का उद्धार, बालक गणेश के यज्ञोपवीत-संस्कार का वर्णन, विविध देवों द्वारा उन्हें अनेक नाम तथा विविध उपहार प्रदान करना अथः दशमोऽध्यायः नानानामनिरूपणं ब्रह्माजी बोले — तदनन्तर धीमान् महर्षि कश्यपजी ने उस बालक गणेश के पाँचवें वर्ष में अपने गृह्यसूत्र में बतायी गयी विधि… Read More
श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-009 श्रीगणेशपुराण-क्रीडाखण्ड-अध्याय-009 ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ नौवाँ अध्याय हाहा-हूहू तथा तुम्बुरु नामक गन्धर्वो का कश्यपमुनि के आश्रम में आना, गन्धर्वों द्वारा पंच-देवों का पूजन, बालक गणेश द्वारा लीलापूर्वक पंचदेवों की मूर्तियों को अदृश्य कर देना, माता को अपने मुख में समस्त ब्रह्माण्ड को प्रतिष्ठित दिखाना तथा गन्धर्वों को विश्वात्मारूप दिखाकर उनके भ्रम को निवारित करना, गन्धर्वों… Read More