विरह-ज्वर-विनाशकं ब्रह्म-शक्ति स्तोत्रम् August 1, 2015 | aspundir | Leave a comment विरह-ज्वर-विनाशकं ब्रह्म-शक्ति स्तोत्रम् ।।श्रीशिवोवाच।। ब्राह्मि ब्रह्म-स्वरूपे त्वं, मां प्रसीद सनातनि ! परमात्म-स्वरूपे च, परमानन्द-रूपिणि !।। ॐ प्रकृत्यै नमो भद्रे, मां प्रसीद भवार्णवे। सर्व-मंगल-रूपे च, प्रसीद सर्व-मंगले !।। विजये शिवदे देवि ! मां प्रसीद जय-प्रदे। वेद-वेदांग-रूपे च, वेद-मातः ! प्रसीद मे।। शोकघ्ने ज्ञान-रूपे च, प्रसीद भक्त वत्सले। सर्व-सम्पत्-प्रदे माये, प्रसीद जगदम्बिके!।। लक्ष्मीर्नारायण-क्रोडे, स्रष्टुर्वक्षसि भारती। मम क्रोडे… Read More
शत्रु-विध्वंसिनी-स्तोत्र July 31, 2015 | aspundir | Leave a comment शत्रु-विध्वंसिनी-स्तोत्र विनियोगः- ॐ अस्य श्रीशत्रु-विध्वंसिनी-स्तोत्र-मन्त्रस्य ज्वाला-व्याप्तः ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीशत्रु-विध्वंसिनी देवता, श्रीशत्रु-जयार्थे (उच्चाटनार्थे नाशार्थे वा) जपे विनियोगः। ऋष्यादि-न्यासः- शिरसि ज्वाला-व्याप्त-ऋषये नमः। मुखे अनुष्टुप छन्दसे नमः, हृदि श्रीशत्रु-विध्वंसिनी देवतायै नमः, अञ्जलौ श्रीशत्रु-जयार्थे (उच्चाटनार्थे नाशार्थे वा) जपे विनियोगाय नमः।।… Read More
कुंजिका स्तोत्र और ‘बीसा यन्त्र’ का अनुभूत अनुष्ठान July 31, 2015 | aspundir | Leave a comment कुंजिका स्तोत्र’ और ‘बीसा यन्त्र’ का अनुभूत अनुष्ठान प्राण-प्रतिष्ठा करने के पर्व चन्द्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, दीपावली के तीन दिन (धन तेरस, चर्तुदशी, अमावस्या), रवि-पुष्य योग, रवि-मूल योग तथा महानवमी के दिन ‘रजत-यन्त्र’ की प्राण प्रतिष्ठा, पूजादि विधान करें। इनमे से जो समय आपको मिले, साधना प्रारम्भ करें। 41 दिन तक विधि-पूर्वक पूजादि करने से… Read More
35 अक्षरी शाबर मन्त्र July 31, 2015 | aspundir | Leave a comment ।। ॐ एक ओंकार श्रीसत्-गुरू प्रसाद ॐ।। ओंकार सर्व-प्रकाषी। आतम शुद्ध करे अविनाशी।। ईश जीव में भेद न मानो। साद चोर सब ब्रह्म पिछानो।। हस्ती चींटी तृण लो आदम। एक अखण्डत बसे अनादम्।। ॐ आ ई सा हा कारण करण अकर्ता कहिए। भान प्रकाश जगत ज्यूँ लहिए।। खानपान कछु रूप न रेखं। विर्विकार अद्वैत अभेखम्।।… Read More
सर्वप्रथम गणेश का ही पूजन क्यों ? July 31, 2015 | aspundir | Leave a comment सर्वप्रथम गणेश का ही पूजन क्यों ? हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य का आरम्भ करने के पूर्व गणेश जी की पूजा करना आवश्यक माना गया है, क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता व ऋद्धि-सिद्धि का स्वामी कहा जाता है। इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है।… Read More
देवोपासना के कुछ सरल उपाय July 31, 2015 | aspundir | Leave a comment देवोपासना के कुछ सरल उपाय देवताओं की उपासना की अनेक विधियाँ शास्त्रों में दी गई है। उन विधियों का पालन करने से अपने इष्ट की कृपा सहज ही प्राप्त की जा सकती है। उनमें से ही कुछ सरल उपाय यहाँ प्रस्तुत है।- १॰ प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी को सिन्दूर चढ़ाना तथा उनके गले में… Read More
गणेशजी को दूर्वा, शमीपत्र तथा मोदक चढ़ाने का रहस्य July 31, 2015 | aspundir | Leave a comment गणेशजी को दूर्वा, शमीपत्र तथा मोदक चढ़ाने का रहस्य – गणेशजी को तुलसी छोड़कर सभी पत्र-पुष्प प्रिय हैं। अतः सभी अनिषिद्ध पत्र-पुष्प इन पर चढ़ाये जा सकते हैं। तुलसीं वर्जयित्वा सर्वाण्यपि पत्रपुष्पाणि गणपतिप्रियाणि। (आचारभूषण) गणपति को दूर्वा अधिक प्रिय है। अतः इन्हें सफेद या हरी दूर्वा अवश्य चढ़ानी चाहिये। दूर्वा की फुनगी में तीन या… Read More
शत्रु-विनाशक आदित्य-हृदय July 31, 2015 | aspundir | Leave a comment शत्रु-विनाशक आदित्य-हृदय ॥ आदित्य हृदय स्तोत्रम् ॥ जब भगवान् राम रावण के साथ युद्ध करते-करते क्लान्त हो गए, तब तान्त्रिक अस्त्र-शस्त्रों के आविष्कारक ऋषि अगस्त्य ने आकर भगवान् राम से कहा कि ‘३ बार जल का आचमन कर, इस ‘आदित्य-हृदय’ का तीन बार पाठ कर रावण का वध करो ।’ राम ने इसी प्रकार किया,… Read More
चक्षुष्मती विद्या July 30, 2015 | aspundir | Leave a comment 1. चक्षुष्मती विद्या ॐ अस्याश्चाक्षुषीविद्याया अहिर्बुध्न्य ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो देवता, ॐ बीजम्, नमः शक्तिः, स्वाहा कीलकम्, चक्षूरोगनिवृत्तये जपे विनियोगः। ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजः स्थिरो भव। मां पाहि पाहि। त्वरितं चक्षुरोगान् शमय शमय। मम जातरूपं तेजो दर्शय दर्शय। यथाहम् अन्धो न स्यां तथा कल्पय कल्पय। कल्याणं कुरू कुरू। यानि मम पूर्वजन्मोपरर्जितानि चक्षुःप्रतिरोधकदुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय… Read More
हनुमत साठिका July 30, 2015 | aspundir | Leave a comment ।। अथ श्री हनुमत साठिका ।। ।। चौपाईयाँ ।। जय जय जय हनुमान अडंगी, महावीर विक्रम बजरंगी । जय कपीश जय पवन कुमारा, जय जगवंदन शील आगारा ॥ जय आदित्य अमर अविकारी, अरि मर्दन जय जय गिरधारी । अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा, जय जयकार देवतन कीन्हा ॥ बाजै दुन्दुभि गगन गम्भीरा, सुर मन हर्ष… Read More