शाबर साधना रक्षा

यदि ‘शरीर रक्षा’ का मन्त्र पढ़कर पहले से ही अपने शरीर को सुरक्षित कर लिया जाए, तो किसी मन्त्र-तंत्र का कोई प्रभाव शरीर पर नहीं होगा । यहां शरीर रक्षा, स्थान (आसन बंधन) एवं दिग बंधन से सम्बंधित मंत्रों का वर्णन है

प्रयोग 1 — नीचे लिखे मन्त्र को सबसे पहले किसी शुभ मुहूर्त में रुद्राक्ष की माला से 1008 बार जप करके सिद्ध कर लेना चाहिए । किसी भी साधना को करने से पहले 7 बार उच्चारण कर लेने से साधक की विघ्न बाधा से सुरक्षा होती है ।

मन्त्र —
“सिल्ली सिद्धिर वजूर के ताला
सात सौ देवी लड़े अकेला
धर दे वीर, पटक दे वीर, पछाड़ दे वीर,
अरे-अरे विभीषण बल देखो तेरा
शरीर बांध दे मेरा,
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति
फूरो मन्त्र ईश्वरी वाचा ॥”


प्रयोग 2 — यह शाबर मन्त्र भी 1008 बार शुभ मुहूर्त में जप करके साधना के समय 21 बार उच्चारण करने से साधना में रक्षा होती है ।
मन्त्र—
“ॐ नमः वज्र का कोठा ।
जिसमें पिंड हमारा पेठा
ईश्वर कुंजी । ब्रह्म का ताला ।
मेरे आठों नाथ का यती हनुमंत रखवाला ।”

प्रयोग 3 — निम्न दो मंत्रों में से किसी एक मन्त्र को 10,000 बार शुभ मुहूर्त जप कर सिद्ध कर लें । शरीर रक्षा की आवश्यकता पड़े तो सिद्ध मन्त्र का नौ बार उच्चारण करके हाथ की हथेली पर नौ बार फूँक मारे और हथेली का को पूरे शरीर पर फिरा दें । इससे देह बँध जाएगी ।
मन्त्र 1 —
“उत्तर बाँधों, दक्खिन बाँधों मरी मसान, डायन भूत के गुण बाँधो, बाँधों कुल परिवार, नाटक बाँधों, चाटक बाँधों, बाँधों भुइयाँ बैताल, नजर गुजर देह बाँधों, राम दुहाई फेरों ॥”
मन्त्र 2 —
“जल बाँधों, थल बाँधों, बाँधों अपनी काया, सात सौ योगिनी बाँधों, बाँधों जगत की माया, दुहाई कामरू कमक्षा नैना योगिनी की दुहाई गौरा पार्वती की दुहाई वीर मसान की ॥”


प्रयोग 4 — दीपावली, होली, ग्रहणकाल या किसी भी शनिवार से 21 दिनों तक प्रतिदिन प्रातः इक्कीस माला इस मन्त्र का जप करें । जप से पूर्व घी का दीप
जलाएं व गुग्गल, फल, मिष्ठान सम्मुख रखें । सिद्ध होने के पश्चात 108 बार मन्त्र पढ़कर अंग में भस्म लगाएं तो रक्षा होती है ।
मन्त्र—
ॐ नमो आदेश गुरु को, वज्र बजी बज्र किवाड़ बज्री में बाँधा दशोद्वार को धाले, उलट वेद बाही को खात, पहली चौकी गणपति की, दूजी चौकी हनुमन्त जी की, तीजी चौकी भैरो की, चौथी सम रक्षा करने की, श्री नृसिंह देव जी आये, शब्द साँचा, पिण्ड काँचा, फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा, सत्य नाम आदेश गुरु का ॥”

प्रयोग 5 — निम्न मन्त्र को ग्रहण काल में ग्रास होने तक जपते रहें, तो यह सिद्ध हो जाता है । मन्त्र को सात बार बोलकर दाएं या बाएं किसी भी हाथ में, किसी भी घुटने पर ताल, दें अर्थात हाथ मारें । यदि किसी अशुभ स्थान में रहना हो, तो वहां मन्त्र बोलकर अपने चारों ओर एक रेखा सी खींच लें । इस रेखा के मध्य शरीर रक्षित रहेगा ।
मन्त्र—
“छोटी मोटी थमन्त वार को वार बाँधे, पार को पार बाँधे, मरघट मसान बाँधे, जादू वीर बाँधे, दीठ, मूठ बाँधे, चोरी छीना बाँधे, भेड़िया-बाघ बाँधे, लखूरी-स्यार बांधे बिच्छू और साँप बाँधे, लाइल्लाह का कोट, इल्लल्लाह की खाई, मोहम्मद रसूलिल्लाह की चौकी, हजरत अली की दुहाई ॥”

प्रयोग 6 — निम्न मन्त्र शुभ मुहूर्त में 10,000 जप करके सिद्ध कर लें एवं प्रयोग के समय 21 बार मन्त्र उच्चारण करके अपनी हथेली पर फूँक मारकर ऊपर से नीचे अपने शरीर से स्पर्श करें तो रक्षा होती है ।
मन्त्र—
“जाँघ बाँधों जंध श्रीः, काया बाँधों परमेश्वरी ।
सिर बाँधों चौरासि, त्रिपुर राखे पहरुदार ॥
काशि कोतवाल हनुमान, राखे पहरुदार ।
जिमान खबरदार, दोहाई सति सीता क ॥
राम लक्ष्मन क, नरसिंह नाथ क ।
गौरा पार्वती के ईश्वर महादेव क कायरु कामख्या माई क ॥”

प्रयोग 7 — निम्न मन्त्र नवरात्रा में 1008 बार जप करने से सिद्ध हो जाता है । प्रयोग के समय 21 बार उच्चारण कर चारों तरफ फूँक मारने से विघ्न बाधा से रक्षा होती है ।
मन्त्र—
“ॐ वज्रक सीकड़, वज्रक किवाड़, वज्र बाँधों दसो द्वार ।
वज्रक सीकड़ से पी बोल, गहे दोष हाथ न लगे ॥
आगे वज्र किवाड़ भैरो बाबा, पसारी चौसठ सौ योगिनी रक्षाकारी ।
दोहाई ईश्वर, महादेव गौरा पार्वती की ॥”

प्रयोग 8 — निम्न मन्त्र 108 बार शुभ मुहूर्त में जप करके सिद्ध कर लें फिर प्रयोग के समय 21 बार जप करने से रक्षा होती है ।
मन्त्र—
“तेल मा तेल, राजा-रानी हाथा पेल । तक्षीर हनुमंत वीर । बँध किस जगह लगाऊं ? नाड़ प लगाओ । तक्षीर हनुमंत वीर । बँध किस जगह लगाऊँ ? छाती प लगाओ । तक्षीर हनुमंत वीर । बँध किस जगह लगाऊं ? तगड़ी प लगाओ । तक्षीर हनुमंत वीर । बँध किस जगह लगाऊं ? पैर के जोड़ प लगाओ । तक्षीर हनुमंत वीर । बंध किस जगह लगाऊं ? पैर के गेह प लगाओ । तक्षीर हनुमंत वीर । बँध किस जगह लगाऊं ? पैर के अँगूठे प लगाओ । लोहे का संगर, लाल लंगोट, देखूं बाबा हनुमान । तेरे शब्द की चोट । सरो वाचा, पिण्ड काचा । देखू बाबा हनुमान । तेरे शब्द का तमाशा ॥”

प्रयोग 9 — निम्न दो मंत्रों में से कोई एक मन्त्र शुभ मुहूर्त में 1008 बार करके सिद्ध कर लें । प्रयोग के समय 21 बार मन्त्र पढ़कर चारों तरफ फूँक मारे ।
मन्त्र 1 —
“आकाश बाँधों, पाताल बाँधों, बाँधों तावा ताई ।
धरती माता तोहे बाँधों । दोहाई भैरो बाबा की ॥”

मन्त्र 2—
“सामा तु आर बाँध, सामा तु चारों कोना बाँध ।
सामा के संग, सामा को जला दिया ॥
सामा तु भूत बाँध, सामा तु पिशाच बाँध ।
सामा तु दानों बाँध, सामा तु हाकिन बाँध ॥
सामा तु चुडैल बाँध, सामा तु वैताल बाँध ।
सामा तु संसार बाँध, सामा तु आसमान बाँध ॥
दोहाई कामरू कामाख्या, नैना योगिनि की ॥”

प्रयोग 10 — दशहरा, दीवाली, कार्तिक शुक्ल एकादशी या होली के दिन 1008 बार जपकर निम्न मन्त्र सिद्ध कर लें । आवश्यकता होने पर एक या तीन बार मन्त्र पढ़कर अपने सीने पर फूक मारें सब प्रकार से रक्षा होगी ।
मन्त्र—
“उत्तर बाँधों, दरिया दानों । दक्षिण बाँधों छत्तर पाल ।
पूरब बाँधों नैना जोगनी । पश्चिम बाँधों राम दुआर ।
तब बाँधों मैं आपन काया । डायन के चक्कर, टोना-मोना दोनों बहिनी ।
चलो री बहिनी, कामरू तोर । जो आवे हा-हा करते, जो आसो पाँव पकरते ।
जब बोलो, छाती चढ़ बैठे । उरी चले गली, चढ़ बैठे ।
आओ छूरी, परखें तलवार । लगरा ला लम्मू भलुआ राग फिरी ।
फिरी के पुतरी ओरा सम पनहार । हराई के तीनों कुले बताओ नह बाँधों या अस्तुल बाँधों ।
बाँधों बत्तिस दाँत । हित गुरु बाँधों, मित गुरु बाँधों ।
सिद्ध गुरु लेऊं माथ चढ़ाय । चलत फिरत सिमना बाँधों ।
अरनी मसाना मही बाँधों । बीच चेस गुन चक्कर काटों ।
आस बाँधों, पास बाँधों, जोगनी अकास बाँधों । जहां मन होय, तहां जाओ ।
आस बाँधों पास बाँधों, जोगनी आकास बाँधों । माई डीहा, डायन बाँधों ।
बाद-पूत ओझा बाँधो । मसान गुने, डाइन बाँधों ।
घोके में को, बार किवार टूट जाय । दोहाई महादेव की लाख दोहाई ॥”

प्रयोग 11 — शिव मंदिर में बैठकर निम्न मन्त्र की 1 माला जप करें । 30 दिन में मन्त्र की पूर्ण सिद्धि होती है । किसी भी साधना के पूर्व मन्त्र को पढ़ते हुए पीली सरसों फेंककर दसों दिशाओं को बाँध देना चाहिए ।
मन्त्र—
“काला गुरू, धर धतूर तै । जान बास-बसेरू, अमली खेरू । वन देउता आकासे लाग, दशो दिशा दशो देउता । मोरे गुरु तोर गुरु । मैं जानो शपथ सांची । कहु राख धरू मार, बन्धान पर ओर छोर । मोर देउता, गौरा पार्वती, महादेव की दोहाई । गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति । फूरे मन्त्र ईश्वरो वाचा ॥”

प्रयोग 12 — निम्न मन्त्र अमावस्या की रात में 11 माला जप करके सिद्ध कर लेना चाहिए । साधना करते समय 7 बार चाकू को निम्न मन्त्र से अभिमंत्रित कर अपने चारों तरफ गोल रेखा खींच लेनी चाहिए ।
मन्त्र—
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय इन्द्रजाल कौतुकानि धापय-धापय, रोधय-रोधय स्वाहा ॥”

प्रयोग 13 — ग्रहण अथवा होली, दीवाली, इत्यादि शुभ मुहूर्त में गुरुदेव, गणेश, शेष, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शक्ति, शिव, और गुरु गोरखनाथ का पञ्चोपचार से पूजन करने के उपरांत मन्त्र का दस हजार जप करें । फिर किसी भी प्रयोग में बैठने पर उक्त मन्त्र से रक्षा रेखा खींच कर बैठना लाभदायक होता है ।
मन्त्र—
“ॐ आदेश, गुरु जी को आदेश । वज्र की कोठड़ी, वज्र किवाड़ा । वज्र छायों, दसों द्वारा । गणेश सौगंली, शेष कुण्डा । ब्रह्मकुंजी, विष्णु ताला । भोले शंकर की चौकी, भैरों बलि, हनुमंत वीर का पहरेदार । जो इस घट पिण्ड पर करे घाव, तो शिव शक्ति की फिरे दुहाई । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । चले मन्त्र, गुरु गोरखनाथ का वाचा फुरे ॥”

प्रयोग 14 — निम्न मन्त्र नवरात्रा, दिवाली, होली आदि शुभ मुहूर्त में 1008 बार पढ़कर सिद्ध कर लें । प्रयोग के समय 3 बार उच्चारण करने से रक्षा होती है ।
मन्त्र—
“ॐ नमो भगवते, सकल भयोच्चाटन भैरवाय, भूत-प्रेत-पिशाच ब्रह्म राक्षसादि सकल भयोच्चाटनाय स्व मन्त्र, यंत्र, तंत्र रक्षणाय, अष्ट भैरवाय, शाकिनी, डाकिनी-छिन्दाय, सर्व भयप छेदाय सकल अनावृष्टि-छिन्दाय, सर्वदानव-राक्षस छिन्दाय, हं हं हं पर मन्त्र-यंत्र-तंत्र छिन्दाय हुं, नव नाथ सिद्ध भैरवाय हुं फट स्वाहा ॥”

 

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